झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पुराने आरक्षण के आधार पर होंगे। यह पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण के आधार पर नहीं होंगे। इसकी घोषणा पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने विधानसभा में की। वे विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी के ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद पिछड़ों के आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट कराया जाएगा। उन्होंने विधायक दीपक बिरुवा के सवाल पर यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के सभी अनुसूचित और गैर अनुसूचित जिलों में एक साथ चुनाव होंगे। पंचायती राज मंत्री ने कहा कि झारखंड में 31 मार्च 2020 को ही पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। कोविड की वजह से इसके कार्यकाल को बढ़ाया गया। सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए प्रस्ताव पहले ही भेज दिया था और तैयारी भी कर रही थी। जनवरी 2022 में सुप्रीम कोर्ट फैसला आया था। इसमें ओबीसी के नए आरक्षण के आधार पर या फिर ओपेन आधार पर चुनाव की बात कही गई। केंद्र ने तय समय पर चुनाव कराने का निर्देश दिया।
पिछड़ों को आरक्षण के लिए बनेगा आयोग..
मंत्री ने कहा कि पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण के लिए सरकार कृत संकल्पित है। इसके लिए आयोग भी बनेगा। झारखंड बनने के बाद पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण मिलता था। बाद में भाजपा सरकार ने इसे 14 फीसदी कर दिया था। अब भाजपा वाले ही इसे 27 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं। 2014-19 तक भाजपा की सरकार रही, तब उन्होंने क्यों नहीं इसे बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था।
भाजपा पर निशाना..
मंत्री ने कहा कि भाजपा वाले पंचायत चुनाव की मांग कर रहे थे। नहीं कराने पर विधानसभा घेराव की भी बात थी, पर अब आरक्षण का मामला उठा रहे हैं। इससे इसमें छह माह से अधिक का समय और लग सकता है। महाराष्ट्र में भी ओपेन आधार पर पंचायत चुनाव हो रहे हैं।