झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के पांचवें दिन अवैध खनन का मुद्दा जोरशोर से गूंजा। विपक्ष के मुख्य सचेतक सह बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने सदन के अंदर सरकार से सवाल किया कि आखिर कौन है पंकज मिश्रा, कितनी ताकत है उनमें, क्या औकात है उनकी। सत्ता पक्ष यह सदन को बताए। बिरंची नारायण ने कहा कि राज्य की जनता से हेमंत सरकार को कोई मतलब नहीं है। इन्होंने तय कर लिया है कि सिर्फ अपने लोगों की तिजोरी भरना है।
बिरंची नारायण ने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में राज्य में पत्थर, बालू और कोयले का अवैध कारोबार चल रहा है। यहां से बांग्लादेश के लिए बालू और छत्तीसगढ़ में पत्थर भेजा जा रहा है। सरकार और मुख्यमंत्री को सब कुछ पता है। बोकारो विधायक ने कहा कि अवैध खनन को लेकर सत्ता पक्ष के लोगों ने भी विरोध जताया है। सीता सोरेन, लोबिन हेंब्रम और स्टीफन मरांडी ने सरकार की आंख खोलने की कोशिश की है, लेकिन सरकार आंखें खोलना नहीं चाहती।
बजट पर चर्चा के दौरान बिरंची नारायण ने कहा कि सरकार जनता की आंख में धूल झोंकने वाला बजट लेकर आई है। जब से हेमंत सरकार सत्ता में आई है सिर्फ दो ही रोना रो रही है। एक कोराेना काल का तो दूसरा ये कि मोदी जी मदद नहीं करते। सरकार आखिर और कितने दिन कोरोना का रोना रोएगी? बोकारो विधायक ने कहा कि 91 हजार 277 करोड़ के बजट में केंद्रीय राजस्व में राज्य की हिस्सेदारी की रूप में 17,891.48 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वहीं केंद्रीय करों में 22.050.10 करोड़ रुपये में राज्य की हिस्सेदारी है। कुल बजट की करीब आधी राशि तो राज्य सरकार केंद्र से ही लेगी तो फिर किस मुंह से ये कहते हैं कि मोदी जी मदद नहीं करते।
बिरंची नारायण ने कहा कि राज्य सरकार की योजनाएं सिर्फ सत्ता पक्ष के विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में चल रही है। विधायकों को 5-5 चापाकल देने की योजना है, लेकिन उनके विधानसभा में तो एक भी चापाकल नहीं लगा। बिरंची नारायण ने पारा शिक्षक, नियोजन नीति समेत कई और मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरा। इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुख्य सचेतक को जवाब देते हुए कहा कि आपने अच्छे सवाल पूछे हैं, जब सत्ता पक्ष आपके सवालों का जवाब दे तो आप निश्चित तौर पर सदन मे रहें।