67 दिनों बाद हुआ सदर अस्पताल में ऑपरेशन, रिम्स में अभी भी करना होगा सर्जरी के लिए इंतजार..

कोरोना की दूसरी लहर के बाद रांची का सदर अस्पताल लेप्रोस्कोपी सर्जरी करने वाला झारखंड का पहला सदर अस्पताल बन गया है। इसके साथ ही रांची का सदर अस्पताल में 67 दिनों बाद पहली बार बुधवार को सफल ऑपरेशन किया गया। सदर अस्पताल में 9 अप्रैल के बाद कोई सर्जरी नहीं की गई थी। दरअसल सदर अस्पताल में एक 25 वर्षीय महिला अंबिका मैती की पथरी का ऑपरेशन डॉ अजित कुमार ने किया। महिला के पित्त के थैली में दो बड़ी पथरी थी जिसके कारण महिला को एक साल से अक्सर पेट दर्द की शिकायत हो रही थी। लेकिन कोविड के कारण महिला को सर्जरी कराने का इंतजार करना पड़ा था। वहीं जब कोवीड की रफ्तार कम हुई तो महिला पोस्ट कोविड केंद्र के डॉक्टर को दिखानी पहुंची थी, जहां उसे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी गई। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के बाद जल्द ऑपरेशन करने का निर्णय लिया।

डॉक्टर्स ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एस मंडल के सलाह के बाद सर्जरी की शुरुआत की। इस ऑपरेशन में सर्जन डॉ अजित कुमार, एनेस्थेटिक डॉ नीरज कुमार, ओटी असिस्टेंट सुशील प्रणव माधव, सिस्टर सविता सुर माधुरी मौजूद रही।

वहीं अभी राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सर्जरी की शुरुआत नहीं हुई है। रिम्स में ऑपरेशन कराने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। मंगलवार से रिम्स में ओपीडी की शुरआत की गई है।हालांकि सदर अस्पताल में बुधवार से सर्जरी की शुरुआत होने से मरीजों को राहत मिलेगी। कोरोना के कारण वैसे मरीजों का ही ऑपरेशन किया जा रहा था जिनको सबसे ज्यादा जरूरी थी।

Covid के दूसरे लहर के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही थी। कोरोना के रफ्तार को रोकने के लिए सरकार ने लोक डाउन लगाया था। जिसके कारण लोगों का घर से निकलने पर प्रतिबंध था। हॉस्पिटल में भी वहीं लोग ही जाते थे जिन्हे बहुत ज्यादा परेशानी थी जिसमें सबसे ज्यादा कोविड के ही मरीज होते थे।जिसके कारण हॉस्पिटल में बेड, दवा यहां तक की डॉक्टर्स की भी कमी हो गई थी। ज्यादातर डॉक्टर्स कोविड के मरीज के इलाज में ही लगे रहते थे जिससे किसी और बीमारी से जूझ रहे मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। कई बड़े हॉस्पिटल में ओपीडी तक बंद था। लेकिन अब जब कोविड की रफ्तार में कमी आ रही तो आम जीवन अब धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी हैं।साथ ही अब हॉस्पिटल में भी मरीजों की भीड़ देखी जा रही हैं। ओपीडी भी अब कई हॉस्पिटल में खुलने लगे है।

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