छठ व्रत के आज तीसरे दिन व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। कुछ व्रतियों ने घर पर रहकर ही संध्या अर्घ्य दिया तो वहीं कुछ व्रतियां नदी तालाब पर सूर्य की उपासना करने पहुंचीं। हालांकि घाट पर लोगों ने समझदारी दिखाते हुए कोरोना गाइडलाइंस का पूरा पालन किया। व्रती के साथ आए परिजन भी मास्क लगाकर घाट पहुंचे।
छठ पूजा के संध्या अर्घ्य का महत्व
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कि षष्ठी तिथि के दिन सूर्य भगवान को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसीलिए संध्या अर्घ्य प्रत्यूषा को प्राप्त होता है। इससे जीवन में काफी लाभ मिलता है। कहा जाता है कि सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है।
अब कल सुबह उगते सूर्य की उपासना करते हुए सभी व्रती दूसरा अर्घ्य देंगी। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा होगा साथ ही छठ पूजा भी संपन्न हो जायेगी।