राज्य के थानों में आम लोगों की सहूलियत के लिए वकील प्रतिनियुक्त किए जाएंगे। थानों में मानवाधिकार का पालन कराने के लिए इन वकीलों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी। साथ ही अगर थानों में पूछताछ और हिरासत में लिए गए लोगों के साथ बदसलूकी होती है तो इसके लिए थाना प्रभारी जिम्मेवार भी माने जाएंगे। झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। वकील झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के पैनल एडवोकेट होंगे, जो थानों में हिरासत में लिए गए और गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्काल कानूनी मदद करेंगे। इसके लिए झालसा ने अपने 96 पैनल वकीलों को थानों में प्रतिनियुक्त करने का निर्णय लिया है।
झालसा ने सभी जिलों के विधिक सेवा प्राधिकार को इसे सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है। थानों, सिविल कोर्ट, जेल, प्रोवेशन होम आदि स्थानों पर बोर्ड लगाया जाएगा। इसमें संविधान प्रदत्त कानूनी अधिकारों की पूरी जानकारी दी जाएगी। झालसा के अनुसार पूछताछ या फिर किसी अपराध में गिरफ्तार अपराधी को कानूनी सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता है। न ही थाने लाए गए किसी व्यक्ति को फोन पर किसी से बातचीत से रोका जा सकता है। ऐसा करना कानूनन अपराध है।
बता दें की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि पुलिस स्टेशन मानवीय सम्मान के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने सभी राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकार को इसके लिए काम करने को कहा था। इसके बाद झालसा ने थानों में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया है।