धनबाद-गया के बीच चिचाकी में नक्सलियों ने विस्फोट से रेल पटरी उड़ाई..

धनबाद/ गिरिडीह: झारखंड-बिहार बंद के दाैरान नक्सलियों की ओर से हावड़ा-नई दिल्ली रेल रूट पर धनबाद-गया ग्रैंड कोड लाइन पर विस्फोट कर पटरी उड़ा दी गई। इसके बाद रेल परिचालन ठप हो गया। रात साढ़े बारह बजे से सुबह सात बजे तक एक दर्जन से ज्यादा ट्रेनें धनबाद और गया के बीच विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रहीं। इन ट्रेनों में सफर कर रहे हजारों रेल यात्रियों की रात नक्सली खौफ में बीती। सुबह सात बजे के बाद परिचालन शुरू हुआ तो रेल यात्रियों ने राहत की सांस ली। नक्सलियों ने बुधवार आधी रात के बाद धनबाद रेल मंडल के चिचाकी और चाैधरीबांध रेलवे स्टेशन के बीच ट्रैक पर बम विस्फोट किया था। विस्फोट के बाद रेलवे ने तुंरत धनबाद और गया के बीच रेल परिचालन रोक दी थी। यह घटना रात करीब साढ़े बारह बजे घटी।

विस्फोट की सूचना मिलते ही ट्रेनों को जहां तहां खड़ा कर दिया गया। नई दिल्ली से हावड़ा, सियालदह और भुवनेश्वर की तरफ जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस भी प्रभावित हुई। तीनों ट्रेनों को बदले रूट से चलाया गया। इसके अलावा विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेनें खड़ी रही। इसमें पारसनाथ स्टेशन में लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस, चौधरीबांध स्टेशन में हटिया इस्लामपुर, चिचाकी में एमटी कोच, हजारीबाग रोड में हावड़ा-जोधपुर एक्सप्रेस पांच घंटे तक रुकी रही। इसके अलावा हावड़ा-इंदौर एक्सप्रेस भी खड़ी रही जबकि कोडरमा में सम्पर्क क्रांति व गया स्टेशन पर गंगा दामोदर खड़ी रही।

घटनास्थल पर माओवादियों ने पर्चा भी छोडा था, जिसमें लिखा गया है कि अस्वस्थ माओवादी किसन दा को जेल में मारने की कोशिश बंद करें, माओवादियों को रिहा करो। देर रात एक टीम घटनास्थल पर पहुंची तो पाया कि ब्लास्ट से रेल पटरी के नीचे लगे दो स्लीपर हिल गए हैं। आधे दर्जन रेल स्लीपर व पेन्ड्रॉल क्लिप क्षतिग्रस्त हो गए। अप में स्लीपर उड़ा दिए जाने के कारण डाउन रेल पटरी भी बाधित हुई। पटरी के नीचे पत्थर के बोल्डर भी हट गए थे। युद्ध स्तर पर काम कर सुबह 6.35 बजे रेलवे लाइन को दुरुस्त किया गया, इसके बाद इस रेलखंड पर ट्रेनें चलीं। घटनास्थल पर गिरिडीह एसपी अमित रेणु, एसडीपीओ नौशाद आलम, आरपीएफ इंस्पेक्टर पंकज कुमार, पुलिस निरीक्षक दिनेश सिंह एवं रेल इंजीनियर विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पहुंचे।

दरअसल भाकपा पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शाली मरांडी की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सलियों ने 27 जनवरी को झारखंड-बिहार बंद का आह्वान किया है। इसी दाैरान नक्सलियों ने 26 जनवरी की रात 12 बजे के बाद धनबाद रेल मंडल में चिचाकी और चाैधरीबांध के बीच रेल पटरी को निशाना बनाया। पुलिस ने दोनों को पिछले साल 12 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया था। उस समय प्रशांत बोस अपनी पत्नी का इलाज कराने जा रहा था। उसके साथ उसके साथी भी थे। पुलिस ने जब सबको गिरफ्तार किया तो प्रशांत बोस ने कहा, ‘आप गलती कर रहे हैं. हम इलाज के लिए जा रहे हैं.’ वहीं, उसकी पत्नी और साथियों ने अपने झूठे नाम बताए। हालांकि, पुलिस बोस को पहचानती थी, इसलिए उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रशांत बोस मूल रूप से से पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के जादवपुर का रहने वाला है। उसकी पत्नी गिरिडीह के टुंडी नावाटांड़ की रहने वाली है। शीला मरांडी 2006 से 2016 तक जेल में भी रह चुकी है। बताया जाता है कि प्रशांत बोस 1960 के दशक में नक्सलियों से जुड़ा। वो माओवादियों के पोलित ब्यूरो का सदस्य है। इसके साथ ही वो 2004 से भाकपा (माओवादी) की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का सदस्य है। प्रशांत बोस को आखिरी बार 1974 में गिरफ्तार किया गया था। वो 1978 में बाहर आ गया था। तब से ही वो पुलिस की पकड़ से दूर था। झारखंड के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की पुलिस को भी उसकी तलाश थी।