शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो गई है। आठ दिनों तक मां की पूजा अर्चना होगी। तृतीया और चतुर्थी तिथि एक दिन पड़ने की वजह से ऐसा होगा। इस दौरान मंदिरों में भक्तों की आस्था के जोत जगमगाएंगे, तो पंडालों में देवी भक्तों को माता रानी दर्शन देंगी। पंडित रामदेव पांडेय ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में रवि योग पड़ना शुभ माना जाता है। खास बात यह है कि इस बार की नवरात्रि में 1, 2 नहीं, बल्कि पांच दिन रवि योग है। ऐसा संयोग लगभग 120 साल बाद बन रहा है। जिस प्रकार सूर्य रोशनी देकर दुनिया का अंधकार मिटाते हैं, वैसे ही रवि योग में माता की पूजा से भक्तों को आत्मिक शांति और सुख- समृद्धि की प्राप्ति होगी। रवि योग 9, 10, 11, 12, 14 अक्टूबर को है।
इधर विभिन्न इलाकों में बुधवार को पूजा सामग्री और कपड़े की दुकानों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी। कलश स्थापना, वेदी पूजन के लिए जरुरी पूजा सामग्री की खरीदारी के साथ ही भक्त नवरात्र अनुष्ठान की तैयारी में जुटे रहे। घरों में पूजा घर की सफाई के अलावा सामान को व्यवस्थित करने का क्रम भी चला। दर्जनों श्रद्धालुओं के लिए यहां पूजा घर की सफाई के अलावा नए सिरे से रंग- रोगन का भी काम कराया गया है। इधर, विधि-विधान से पूजा के लिए श्रद्धालुओं ने विद्वान पुरोहितों को बुक कराया है।
क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का त्योहार..
हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार से जुड़ी दो प्रमुख कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस ने भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा था कि देव, दानव या फिर धरती पर रहने वाला कोई भी मनुष्य उसका वध ना कर सके। ब्रह्मा जी का आशीर्वाद पाने के बाद राक्षस ने तीनों लोगों में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। जिसके बाद महिषासुर के आतंक से त्रस्त आकर देवताओं ने देवी दुर्गा का आवाहन किया। 9 दिनों तक मां दुर्गा और महिषासुर के बीच भीषण युद्ध चला था। दसवें दिन मां दुर्गा ने भयानक राक्षस महिषासुर का वध कर दिया।
दूसरी कथा के अनुसार भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले मां दुर्गा की आराधना की थी। भगवान राम की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया, जिसके बाद राम जी ने दसवें दिन रावण को हराकर लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए नवरात्रि की दसवें दिन ‘विजयदशमी’ यानी दशहरा का त्योहार मनाया जाता है।