राज्य के कोरोना संक्रमितों में ज्यादातर प्रभावित युवा, बुजुर्गों से ज्यादा मिल रहा है फेफड़ों में संक्रमण..

झारखंड में काेराेना भयावह रूप लेता जा रहा है। वायरस तेजी से फेफड़े काे संक्रमित कर रहा है। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में फिलहाल 350 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती है।इनमें ज्यादातर की स्थिति गंभीर है। बड़ी बात ये है कि संक्रमण का असर युवाओं में ज्यादा देखा जा रहा है।

350 में से करीब 200 यानी 57.14 फीसदी मरीज 20 से 40 साल के हैं। इनके फेफड़े में बुजुर्गाें की तुलना में ज्यादा संक्रमण मिल रहा है। रिम्स के क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट और काेराेना के गंभीर मरीजाें का इलाज कर रहे डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि फेफड़े के एनाटाॅमिकल डैमेज का एचआरसीटी टेस्ट से पता लगाया जाता है जबकि फंक्शनल डैमेज की पहचान के लिए ऑक्सीजन सेचुरेशन मेजरमेंट जरूरी है। वर्तमान की परिस्थितियों में देखा जा रहा है कि अधिकतर युवा मरीजाें का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90-95 के आसपास रहता है, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही यह 50 से नीचे पहुंच जाता है। इससे मरीजों की स्थिति ज्यादा खराब हो जा रही है।

इसी तरह जमशेदपुर की बात करें तो यहां 49% कोविड मरीज युवाओं के फेफड़े संक्रमित हैं। जमशेदपुर के एमजीएम और टीएमएच में 576 मरीज हैं। इनमें से 20 से 50 साल के 276 मरीज हैं, जिनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस आयु वर्ग के 49% यानी करीब 135 लाेगाें के फेफड़े संक्रमण से प्रभावित हुए हैं। 698 मरीज हाेम आइसाेलेशन में हैं, जिनका ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिर रहा है। इन मरीजाें काे कभी भी ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।

उधर धनबाद में संक्रमिताें में दाे लक्षण दिख रहे हैं। कुछ में सर्दी-खांसी, बुखार की शिकायत है। वहीं कुछ ऐसे मरीज हैं जिन्हें छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ है, लेकिन सर्दी-बुखार नहीं है। यहां 45 से अधिक उम्र वाले करीब 30% मरीज हैं जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। हालांकि 17 से 40 साल ज्यादा संक्रमित हैं, लेकिन उन्हें सर्दी-बुखार की शिकायत है।

डॉक्टर बताते हैं कि आज के समय में सभी काे घर में ऑक्सीमीटर रखना चाहिए। दिनभर में दाे से तीन बार ऑक्सीजन लेवल चेक करें। ऑक्सीजन सेचुरेशन 95 से कम दिखे ताे तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

हर किसी को एचआरसीटी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं। फेफड़े में संक्रमण की स्थिति जानने का यह एक तरीका जरूर है लेकिन ये सिर्फ फेफड़े के एनाटाॅमिकल डैमेज दिखाता है। जबकि ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल फंक्शनल डैमेज की जानकारी देता है। फंक्शनल डैमेज की जानकारी पहले मिलने से इलाज में सहूलियत हाेती है। डाॅक्टर की सलाह पर ही यह जांच करानी चाहिए।

होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज के ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल और पल्स रेट की माॅनिटरिंग करते रहें। और ऑक्सीजन लेवल अगर गिर रहा है ताे तुरंत अस्पताल में भर्ती करें।

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