झारखंड में मानसून की स्थिति खराब, अक्टूबर के जगह अगस्त में ही हो सकती है सुखाड़ की घोषणा!

रांची: झारखंड में इस बार मानसून की स्थिति ठीक नजर नहीं आ रही है. राज्य सरकार इसे लेकर चिंता में है. कृषि विभाग द्वारा इसे लेकर पिछले कैबिनेट में मुख्यमंत्री के साथ बैठक भी हुई है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा है कि जल्द ही सीएम के साथ फिर बैठक हो सकती है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड में इस वर्ष अभी तक करीब 50 प्रतिशत वर्षा कम हुई है. इसकी गंभीरता को समझते हुए राज्य सरकार ने वैकल्पिक योजनाओं पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.

सरकार पांच लाख नए राशन कार्ड की व्यवस्था करने जा रही है. साथ ही साथ जरूरत पड़ने पर दीदी किचन को भी फिर से शुरू करने की योजना है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में ऐसी स्थिति सिर्फ इस बार नहीं हुई है. पहले भी सुखाड़ व अकाल से झारखंड प्रभावित रह चुका है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग ने इसे लेकर मुख्यमंत्री व आपदा प्रबंधन विभाग को पूरी स्थिति से अवगत करवा दिया है.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने बताया कि राज्य में कृषि योग्य भूमि 27 लाख हेक्टेयर के करीब है. जिसमें करीब 6 लाख 89 हजार हेक्टेयर भूमि पर फसल का अच्छी हुई है. हमलोग फसल के मामले में इस वर्ष काफी पीछे है. अभी तक केवल 35 प्रतिशत लक्ष्य को ही प्राप्त किया जा सका है. यूं तो सुखाड़ की घोषणा अक्टूबर माह में करने की परंपरा है, लेकिन परिस्थिति को आंकते हुए राज्य सरकार अगस्त माह में ही झारखंड को सूखा प्रभावित घोषित कर सकती है.

लोबिन हेंब्रम ने बादल पत्रलेख को लिया आड़े हाथों..
लोबिन हेंब्रम ने कहा है कि कृषि मंत्री बादल पत्र केवल गोलमटोल जवाब दे रहे हैं. झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने सदन में सुखाड़ पर हो रही चर्चा के बीच में ही हस्तक्षेप करते हुए मंत्री बादल पत्रलेख को कहा कि यहां किसान पलायन को मजबूर है और मंत्री बात को इधर से उधर घुमा रहे हैं. यहां गांव के गांव खाली हो रहे हैं. सत्र समाप्ति की ओर है. लेकिन, अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार झारखंड को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करेगी या नहीं इसका जवाब वे दें.