जमशेदपुर : झारखंड में अलग अलग मौसम में प्रवासी पक्षी देखे जा रहे हैं। कोरोना वायरस के दौरान दलमा के पहाड़ और जंगल में इंडियन पिट्टा दिखाई दिया है जो कभी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में पाया जाता था। इससे पहले यह हिमालय की तराई में दिखता था। बता दे कि इंडियन पिट्टा को नवरंगा भी कहा जाता है। दलमा पहाड़ और इसके आसपास के इलाके में विदेशी से लेकर हिमालय की तराई में पाए जाने वाले पक्षियों का आना जाना लगा रहता है।
दरअसल विदेशी पक्षियों का नवंबर में आना शुरू होता है जो मार्च में वापस जाते हैं। बीते मौसम में 40 प्रकार के प्रवासी पक्षी यहां आए थे। जिनमें से इंडियन पिट्टा ने दलमा में अपना बसेरा डाल लिया। दलमा में पक्षियों के सर्वेक्षण के दौरान पक्षी विशेषज्ञ प्रसेन्नजीत सरकार ने पाया कि 10 स्थानों पर इंडियन पिट्टा ने अपना घोसला बनाया है।
इंडियन पिट्टा को नवरंगा भी कहते हैं। इसके शरीर पर नौ रंग दिखाई देता है। पिट्टा एक पक्षी की प्रजाति है, जो एशिया में हिमालय की तराई वाले इलाके में अधिक पाई जाती है। इसके अलावा यह एशिया महाद्वीप, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में भी पाया जाता है। इंडियन पिट्टा भारत में झाड़ीदार जंगल, पर्णपाती और घने सदाबहार जंगल में रहता है। यह हिमालय की तराई के अलावा मध्य और पश्चिम भारत में भी पाया जाता है। वही वन कर्मी इस बात से काफी खुश हैं कि यहां एक नई प्रजाति के पक्षी रहने लगे हैं। यहां की आबोहवा उन्हें भा गई है। अमूमन ऐसा कम ही होता है कि प्रवासी पक्षी यही बस जाएं।
दलमा रेंज, डीएफओ अभिषेक कुमार का कहना है कि इंडियन पिट्टा यदि अपना परिवार दलमा जंगल में बसा लेता है तो विलुप्त हो रहे इस पक्षी की संख्या बढ़ सकती है। दलमा पहाड़ में एक पैराडाइज फ्लाइ कैचर पक्षी भी पाया गया। जो मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी है। दलमा में पशु पक्षियों का सर्वेक्षण कर रही टीम के सदस्य प्रसेन्नजीत सरकार ने बताया कि पैराडाइज फ्लाइ कैचर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। इस पक्षी को दूधराज भी कहते हैं।