भूत गांव के हर घर में बने हैं पूर्वजों के स्मारक..

Jhupdate क्या भूत होते है? या यह कल्पना है? आज तक इन सवालों का रहस्य कोई नहीं खोज पाया है। कई लोग मानते हैं कि पृथ्वी में जीवन के साथ जीव सत्य है। तो मृत्यु के बाद भूत प्रेत भी सत्य है। तो कई लोग इन बातों को महज एक अंधविश्वास का नाम देते है लेकिन आज हम आपको सचमुच के भूत के बारे में बताने जा रहे है। डरिए मत यह भूत कोई प्रेत-आत्मा नहीं बल्कि एक गांव का नाम है। झारखंड के राँची जिले के खूंटी प्रखंड के अंतर्गत मारंगहादा पंचायत में भूत नामक यह गांव स्थित है। खूंटी से दतिया रोड होते हुये मारंगहादा जाने वाली पथ में लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर भूत गांव का बोर्ड नजर आता है। अपने नाम की वजह से चर्चा में बना यह गांव लोगों के बीच कौतूहल का विषय बना हुआ है। और उसे रास्ते से गुजरने वाले मुसाफिर बोर्ड के पास रूककर अपनी सेल्फी लेते है। और गांव का नाम सुनकर उसके बारे में जानने की जिज्ञासा रखते है। लेकिन नाम जानने के बाद या तो डर के कारण या फिर झिझक से बहुत कम लोग ही गांव के अंदर जाने की हिम्मत रखते है। हालांकि, इस नाम से गांव के ग्रामीण और आसपास के सभी लोग बेहद सहज है। गांव में लगभग 100 परिवार रहते है। जिसमें लगभग सभी आदिवासी है।

बुन को भूत कर दिया….
भूत गांव के निवासी मारंगहादा पंचायत के मुखिया प्रेम टूटी ने बताया कि गांव का नाम बुन था। मुंडारी हातू कहा जाता था। अंग्रेजों के शासन काल में किए गए सर्वे के समय अंग्रेजों ने बुन का उच्चारण भूत के रूप में कर दिया। और बुन को भूत कर दिया जिसके बाद गांव के नाम पर दर्ज सभी दस्तावेजों में भूत नाम ही अंकित हो गया है। ग्रामीणों के बीच एक और कथा प्रसिद्ध है। अंग्रेजों के जमाने में गांव कोई पूजा था। जिसमें मुंडाओं के परंपरा के अनुसार पहान के द्वारा मुर्गा की बलि दी जानी थी। जिसके लिए मुर्गा को टोकरी से ढककर रखा गया था। और इस वक्त एक अंग्रेज गांव में टैक्स वसूलने के लिए पहुंचा। टोकरी के अंदर रखा मुर्गा उसकी तरफ टोकरी के साथ आने लगा अंग्रेज को यह ज्ञात नहीं था की टोकरी के अंदर मुर्गा है टोकरी को भूत समझकर अंग्रेज घबरा गया और उसे लगा गांव में कोई भूत है। इसे लेकर भी गांव का नाम भूत दिया गया।

गांव नाम से टूट जाते थे रिश्ते…
गांव का नाम भूत होने के कारण शादी-ब्याह में परेशानी होती थी। डर के कारण या झिझक से लोग गांव में रिश्ता लेकर आना नहीं चाहते थे। लेकिन अब पहले की तरह गांव की वह स्थिति नहीं रह गयी है। अब सब कुछ सामान्य है।

अन्य गांवों की तुलना में विकसित है भूत गांव
अन्य गांवों की तुलना में भूत गांव काफी विकसित गांव है। विकास की और कदम बढ़ाते हुए सरकारी लाभ लेने में भूत गांव के लोग आगे है। पीएम आवास योजना, ग्रामीण मनरेगा, हर घर नल जल योजना, शौचालय सहित अन्य का शत प्रतिशत योजनाओं का लाभ लाभ उठा रहा है। गांव में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय अन्य स्कूलों से बेहतर है। जहां बच्चों को स्मार्ट क्लास भी उपलब्ध कराए गए है। जिससे कि बच्चे अन्य गांव के बच्चों से पीछे ना रह जाए। वहीं स्कूल उत्कृष्ट स्कूल के रूप में राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुका है। गांव में लगभग हर परिवार ने आम बागवानी भी की है। और गांव की प्रसिद्ध उसके नाम के अलावा गेंदा फूल की खेती को लेकर भी की जाती है।

नशा मुक्त गांव है ….
झारखंड का भूत गांव पूरी तरह से नशा मुक्त है। ग्रामीण न तो गांव में सर आपका सेवन करते हैं ना ही इसकी खरीद-बिक्री करते है। अब तो गांव में हड़िया पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। सिर्फ पूजा-पाठ को लेकर छूट दी गयी है। वहीं गांव अफीम की खेती से भी कोसो दूर है। ग्राम सभा द्वारा अफीम की खेती करने पर जुर्माना लगाये जाने का प्रावधान किया गया है। नशा मुक्त होने के कारण ग्रामीण अपराध से दूर हैं और शिक्षा के प्रति बेहद जागरूक है।

घर में बने हैं स्मारक….
भूत गांव के अंदर लगभग हर घर में पूर्वजों का स्मारक बने हुए है। घर के आसपास ही ग्रामीणों ने पत्थरों पर उनके नाम और संक्षिप्त जीवनी उकेर कर के स्मारक बनाई है।

मेला में आते है लोग….
भूत गांव में टुसू मेला और मंडा पूजा वृहद रूप से मनाया जाता है। टुसू और मंडा पर्व को लेकर गांव काफी प्रसिद्ध भी है यहां दूर-दूर से लोग मेला का आनंद लेने और मेला घूमने आते है।