Jharkhand: बाबा बैद्यनाथ धाम के प्रांगण में 22 देवी देवताओं के मंदिर विराजमान है। सभी देवी देवताओं के अलग-अलग अपने महत्व है। हर साल संक्रांति तिथि को मां मनसा की वार्षिक पूजा का आयोजन किया जाता है। हर वर्ष की तरह आज, संक्रांति तिथि 18 अगस्त को बाबा मंदिर में करीब रात 10 बजे के बाद मां मनसा की पूजा के लिए बाबा मंदिर में तैयारी पूरी कर ली गयी है। यहां पर रात के करीब 11 बजे के बाद से मंदिर इस्टेट पुरोहित व पुजारी पूजा करेंगे। उपचारक के तौर पर भक्तिनाथ फलहारी संचालन में सहयोग करेंगे।
तांत्रिक विधि से होगी मां की पूजा….
मां मनसा की पूजा मंदिर में तांत्रिक विधि से की जायेगी। इसके अलावा बाबा मंदिर के निकट बैद्यनाथ लेन शिक्षा सभा चौक स्थित मनसा मंदिर, सब्जी मंडी सहित दर्जनों जगहों पर मां की पूजा का आयोजन किया जा रहा है।
मां मनसा की पूजा के लिए भक्तों की लगी रहती है भिड़….
देवघर के बाबा बैजनाथ धाम में 22 देवी देवताओं के मंदिर मौजूद है। जिनमें सब की पूजा करने की विधि अलग अलग है। सब का अपना महत्व है। इनमे से एक मां मनसा का भी मंदिर है। विष की देवी मां मनसा आज का दिन श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण है मां के पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ जमी रहती है देवी के मंदिर में भक्त मां के दर्शन करने के लिए घंटों कतार में लग कर मां की पूजा करते है। बाबा धाम में मां मनसा की दो फीट की मूर्ति स्थापित है। मां मनसा एक हाथ में चक्र, एक हाथ पाश, एक हाथ में त्रिशूल व एक हाथ में जहरीला सर्प धारण किये है।
मां मनसा शिव पुत्री….
पारंपरिक मान्यता है कि मां मनसा नागराज वासुकि की बहन है। और मां को विष की देवी भी कहा जाता है। पुरानकथाओं में यह भी बताया जाता है कि भगवान शिव की तीन पुत्रियों में एक का नाम मनसा भी है। इन्हें देवी पार्वती की सौतेली पुत्री माना गया हैव कार्तिकेय की तरह ही देवी पार्वती ने मनसा को भी जन्म नहीं दिया। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां मनसा का जन्म तब हुआ जब भगवान शिव का वीर्य कद्रु (सर्पों की मां) की प्रतिमा को छू गया। इसलिए मनसा को भगवान शिव की मानस पुत्री कहा जाता है। पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां मनसा का जन्म कश्यप ऋषि के मस्तक से हुआ। कश्यप ऋषि की पत्नी का नाम कद्रू है। ग्रंथों में मनसा के शिव की पुत्री होने का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन शिव से ही मनसा ने शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की।
ओझा परिवार करते हैं मां की पूजा….
मां मनसा की पूजा करने से भक्तों को कभी जहरीले सर्प, बिच्छू, जहरीले कीड़े मकोड़े का डर नहीं रहता है। यहां पर भक्त व पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही है। ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर मंदिर मे मां की पूजा की जाती है। साल में एक बार मां मनसा की विशेष पूजा श्रावण संक्रांति तिथि तांत्रिक विधि से की जाती है। भक्त सालों भर मां मनसा की पूजा कर सकते है।
इच्छाओं की करती है पूर्ति….
जो भी भक्त मां के द्वार पर सच्चे मन से पहुंचता है। मां मनसा देवी उन भक्तों की सभी मन्नते पूरी करती है। मां के नाम का ही अर्थ इच्छा पूरी करने वाला है। मनसा का अर्थ ‘इच्छा’ है। मां मनसा के मंदिर आकर लोग अपनी मुरादें पूरी करने के लिए यहां पेड़ की शाखा में एक पवित्र धागा बांधते है और इच्छा पूर्ण हो जाने के बाद दोबारा आकर धागे को खोलते हैं और मां मनसा का आशीर्वाद भी लेते है।