झारखंड में लॉकडाउन से आम पर पड़ा अच्छा प्रभाव, आम का उत्पादन डेढ़ हजार मैट्रिक टन के पार..

खूंटी: कोरोना संक्रमण के कारण आमजनों की जिंदगी रुक सी गई है। जिसके कारण कई लोगों पर आर्थिक से लेकर मानसिक प्रभाव पड़ा है। लेकिन लॉकडाउन का असर पर्यावरण पर सकारात्मक पड़ा है। इस साल आम और कटहल की पूरे झारखंड में बंपर उत्पादन हुआ है। बाग बगीचों में हर ओर आम गिरकर बिखरे पड़े हैं पर कोई देखने वाला तक नहीं है। लोगों का मानना है कि ऐसा उत्पादन 50 सालों से नहीं देखा है। वाहनों के कारण प्रदूषण में कमी आई है, इस कारण ऐसा प्रभाव पड़ा है। बीजू आम से लेकर आम्रपाली, मालदा सहित अन्य किस्म के आम का काफी अच्छा खासा उत्पादन हुआ है। पूरे राज्य में आम्रपाली सहित अच्छे किस्म के आम का उत्पादन डेढ़ हजार मैट्रिक टन से अधिक हुआ है। अकेले खूंटी में 300 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ है। इतनी बड़ी उपज के बाद भी आम की खरीदार नहीं है। लॉकडाउन के कारण बाहर के व्यापारी बाग बगीचों तक नहीं पहुंच पा रहे है। स्थानीय लोग भी आम खरीदने से बच रहे है।

वहीं खूंटी जिले में बागवानी झेत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था प्रदान के प्रेम शंकर ने बताया कि झारखंड में आम के बेहतर उत्पादन के लिए बागवानी योजना के तहत किए गए सफल प्रयोग में भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित क्लस्टर फैसिलिटेशन टीम का बहुत बड़ा योगदान है। इसके तहत जमीनी स्तर पर काम कर रहे गैर सरकारी संस्थाओं के तकनीकी सहयोग से लाभुकों को समय पर प्रशिक्षण, गुणवतापूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन और मनरेगा में काम की मांग के साथ ही पंचायत स्तर पर रोजगार दिवस के क्रियान्वयन में काफी बड़ा योगदान रहा है। इससे ना केवल गरीब किसान, मजदूरों की स्थाई संपत्ति बनी है बल्कि रोजगार के माध्यम से उनकी आमदनी में काफी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बागवानी को बढ़ावा देने से पलायन में कमी आ रही है। पिछले 5 वर्षों में मनरेगा के तहत 32 हजार एकड़ में आम की बागवानी हुई है।

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