रांची: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। झारखंड हाई कोर्ट ने चारा घोटाले के देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये की अवैध निकासी मामले में उनकी सजा बढ़ाने के लिए सीबीआई की याचिका को मंजूरी दे दी है। हाई कोर्ट ने सीबीआई की दलील को गंभीर मानते हुए कहा कि निचली अदालत ने अपराध की गंभीरता के मुकाबले हल्की सजा सुनाई थी।
इस फैसले से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है, खासकर तब जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। सीबीआई की इस याचिका पर सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ ने की।
क्या है मामला?
देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को निचली अदालत ने 3.5 साल की सजा सुनाई थी। सीबीआई ने इस सजा को अपर्याप्त बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सीबीआई की दलील के अनुसार, लालू यादव उस वक्त बिहार के पशुपालन मंत्री थे और घोटाले की पूरी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की।
सीबीआई ने कहा कि कानून के मुताबिक लालू यादव को सात साल तक की सजा दी जा सकती थी, लेकिन निचली अदालत ने हल्की सजा दी।
तीन दोषियों पर बढ़ सकती है सजा
सीबीआई की इस याचिका में छह दोषियों के नाम शामिल थे:
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लालू यादव
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बेक जूलियस
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सुबीर भट्टाचार्य
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आरके राणा
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फूलचंद सिंह
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महेश प्रसाद
इनमें से आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद का निधन हो चुका है। इसलिए अब अदालत ने शेष तीन दोषियों पर सुनवाई करते हुए सजा बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राजनीतिक हलचल बढ़ी
इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। आरजेडी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह केंद्र सरकार और सीबीआई की राजनीतिक साजिश है। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और भ्रष्टाचार के दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।