कर्णपुरा के एनटीपीसी पावर प्लांट निर्माण स्थल पर पिछले 50 दिनों से मुआवजा बढ़ाने को लेकर रैयत आंदोलन कर रहे हैं | इस वजह से एनटीपीसी के नार्थ कर्णपुरा पावर प्लांट प्रोजेक्ट में पिछले सात दिनों से प्लांट का निर्माण कार्य बंद हो गया है। जिससे एनटीपीसी को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। वहीं ,परियोजना में दिनरात काम करने वाले लगभग पांच हजार कामगार वापस घरों को लौट गए हैं। जिसकी वजह से बैलून-2 का काम अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ है और बिना इसके निर्माण के बिजली का उत्पादन संभव नहीं है।वहीं ,रैयतों के आक्रोश को देखते हुए अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है कि आंदोलन कब तक चलेगा। सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस जुलाई तक उत्तरी कर्णपुरा मेगा विद्युत ताप परियोजना से बिजली का उत्पादन संभव नहीं है।
आपको बता दें कि परियोजना के लिए करीब 22 सौ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। जिसमें 15 सौ एकड़ रैयती तथा करीब सात सौ एकड़ गैरमजरूआ है और लगभग 2800 रैयत इससे प्रभावित हुए हैं। वहीं ,रैयतों के बीच मुआवजे का भुगतान तीन अलग-अलग दर से किया गया है।दरअसल , परियोजना की अधिसूचना 2006-07 में जारी हुई थी, तब 4.35 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से कुछ रैयतों को भुगतान किया गया था। जिसके बाद परियोजना का निर्माण कार्य ऊर्जा व कोयला मंत्रालय के बीच उत्पन्न विवाद के कारण रुक गया था | हालांकि , 2013 में जब आपसी सहमति के बाद परियोजना पर काम शुरू हुआ,तब मुआवजे की नई दर 15 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी गई थी | जानकारी के अनुसार , तेरह रैयतों को चौबीस लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा का भुगतान किया गया था । इसी बात का मुद्दा बनाकर अब बहुसंख्यक रैयत इसी दर पर मुआवजा के लिए आंदोलन कर रहे हैं। रैयतों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज चंद्रा का आरोप है कि उत्तरी कर्णपुरा में भू-अर्जन से होने वाले विस्थापन और उसके पुनर्वास और व्यवस्थापन की नीति पर भी अमल नहीं किया गया है। जिसका लाभ भी अब तक रैयतों को नहीं दिया गया है।
मालूम हो कि एनटीपीसी की यह परियोजना करीब 24 हजार करोड़ रुपये की है। इस परियोजना के निर्माण के लिए एनटीपीसी ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंपनियों से यह राशि ऋण के रूप में ली है। जिसका सिर्फ ब्याज डेढ़ करोड़ रुपये हर दिन देना पड़ता है। ऐसे में रैयतों के आंदोलन की वजह से पुरे राज्य के अर्थव्यवस्था पर असर होगा |
“प्लांट का निर्माण कार्य ठप रहने से प्रतिदिन ढाई करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। दिनरात पांच हजार मजदूर प्लांट के अंदर काम कर रहे थे। ये सारे मजदूर वापस लौट गए हैं। मार्च में सिंक्रोनाइजेशन एवं जुलाई से बिजली उत्पादन का लक्ष्य था, परंतु परियोजना का काम ठप होने से अब बिजली उत्पादन का लक्ष्य कम से कम तीन महीने और पीछे चला गया है ” – असीम कुमार गोस्वामी, कार्यकारी निदेशक, एनटपीसी कर्णपुरा, चतरा।