नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने ट्विटर पर की झारखंड पुलिस की तारीफ..

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने झारखंड पुलिस की तारीफ की है| उन्होंने ट्वीट कर मानव तस्करी की शिकार झारखंड की बच्चियों को गुजरात से मुक्त कराने में तत्परता दिखाने को लेकर झारखंड व गुजरात पुलिस की तारीफ की| उन्होंने दोनों राज्यों की पुलिस को संबोधित करते हुए कहा कि आपके त्वरित कार्रवाई की बदौलत 20 बच्चियों की जिंदगी बचाई जा सकी| उनकी संस्था बचपन बचाओ आंदोलन झारखंड को मानव तस्करी मुक्त बनाने के लिए आगे भी सहयोग करते रहेगी| इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि वो जरूर इस कार्य में सफल होंगे|

ज्ञात हो कि पिछले दिनों झारखंड की राजधानी रांची के अनगड़ा से नाबालिग लड़कियां तस्करी कर गुजरात ले जाई गयी थीं| मामले की जानकारी होने पर झारखंड पुलिस हरकत में आई और गुजरात पुलिस के साथ कार्रवाई करते हुए बच्चियों को बरामद कर लिया गया| शुक्रवार देर रात झारखंड पुलिस इन नाबालिग लड़कियों को रेस्क्यू कर रांची पहुंची। इनमें से कई बच्चियां बीमार थीं।

नाबालिग लड़कियों को वापस लाने को लेकर सूरत सीडब्ल्यूसी की ओर से रांची चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) से कोई कॉर्डिनेशन नहीं किया गया। इस बारे में बात करते हुए सीडब्ल्यूसी की चेयरमैन रूपा कुमारी व सदस्य तनुश्री सरकार ने बताया कि कॉर्डिनेशन नहीं होने के कारण फिलहाल ये पता नहीं चल सका है कि जो नाबालिग वापस लौटी हैं उनका कोरोना जांच हुआ या नहीं। अब सभी नाबालिगों की कोरोना जांच करने के बाद उनका बयान लिया जाएगा। इस बात की जांच की जाएगी कि ट्रैफिकिंग का मामला है या माइग्रेंट लेबर का। पुलिस एक आरोपी को भी अपने साथ लेकर वापस लौटी है।

डीआइजी अखिलेश झा के निर्देश पर रांची पुलिस की एक टीम लड़कियों को लाने गुजरात गयी थी| इस टीम का नेतृत्व अनगड़ा थाना प्रभारी अनिल कुमार तिवारी व सब इंस्पेक्टर कोमल कुमारी ने किया।

पांच सिंतबर को गुजरात के सूरत स्थित पलसाणा श्रीम्प फैक्ट्री से रांची के अनगड़ा के सुदूरवर्ती जंगल क्षेत्र लेप्सर, बुढ़ा कोचा, गोंदली टोली, टाटी सिंगारी आदि गांवों की रहने वाली 20 लड़कियों को बरामद किया गया। इन सभी को सिलाई-कढ़ाई सिखाने के नाम पर गुजरात ले जाया गया था लेकिन वहां मछली ढोने और पैकिंग का काम पूरी रात करवाया जाता था। ये फैक्ट्री सूरत के चौर्यासी विधानसभा के भाजपा विधायक झंखना पटेल के चचेरे भाई की बतायी जा रही है।
रेस्क्यू की गई लड़कियां 6 अगस्त से लापता थीं। बूढ़ाकोचा की लापता एक लड़की के पिता ने तीन सितंबर को अनगड़ा थाने में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके साथ ही भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष आरती कुजूर ने मुख्यमंत्री, सांसद और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई करने की अपील की थी। एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से सूरत के पलसाणा थाना से संपर्क किया गया|

जानकारी के मुताबिक, एनजीओ और कंट्रोल रूम से मिली खुफिया सूचना के आधार पर सूरत के चौर्यासी विधानसभा की भाजपा विधायक झंखना पटेल के चचेरे भाई की झींगा फैक्ट्री में जांच की गई थी। इस दौरान वहां से कई बाल मजदूर पकड़े गए थे। पुलिस ने इस केस में मंजू नाम की एक महिला को भी गिरफ्तार किया है| पुलिस के मुताबिक मंजू मानव तस्करी गिरोह से जुड़ी हुई है| उसपर झारखंड के कई जिलों से लड़कियों को बहला-फुसलाकर वहां लाने का आरोप है|

जांच में ये पता चला कि नाबालिग लड़कियों से मजदूरी कराने के लिए वयस्क का आधार कार्ड बनवाकर उन्हें झारखंड से लाया गया था। जब आधार कार्ड की जांच की गई तो सारा मामला खुल कर सामने आ गया। पलसाणा पुलिस ने झारखंड पुलिस की मदद से आधार कार्ड को वेरिफाई करवाया। इनमें से 19 नाबालिग लड़कियों का फर्जी आधार कार्ड झारखंड में बनवाया गया था। अब झारखंड पुलिस फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले की जांच कर रही है।

वहीं झारखंड के अनगड़ा थाना के थाना प्रभारी अनिल कुमार तिवारी का कहना है कि आधार कार्ड फर्जी नहीं है, बल्कि उनमें छेड़छाड़ करके जन्म तिथि को बदल दिया गया है। आधार कार्ड उम्र का प्रमाण पत्र नहीं है ये एक पहचान पत्र है। कंपनी को नाबालिग लड़कियों की उम्र को वेरिफाई कर लेना चाहिए था। उम्र की जानकारी के लिए स्कूल का सर्टिफिकेट मान्य है।

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