बुधवार को हुई झारखंड कैबिनेट की बैठक में झारखंड लोक सेवा परीक्षा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इस संशोधन की मदद से पूर्व में हुई परीक्षाओं की विसंगतियों को दूर कर लिया गया है। 1951 में बनी परीक्षा नियमावली में कुछ संकल्पों के माध्यम से बीच-बीच में संशोधन किए गया थे, लेकिन कहीं न कहीं गड़बडिय़ां होती रहीं।
जिसके कारण हर परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों और सरकार को कोर्ट जाना पड़ता था। बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए कार्मिक सह कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि नियमावली संशोधन प्रस्ताव में हाई कोर्ट के निर्णयों के आधार पर भी बदलाव किए गए हैं। इस फैसले के बाद सातवीं जेपीएससी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। श्री सिंह ने बताया कि जेपीएससी के अंतर्गत होने वाली 15 तरह की परीक्षाओं में सभी के लिए एक ही उम्र और शैक्षणिक योग्यता होगी।
वहीं, प्रारंभिक परीक्षा में कुल पदों के मुताबिक 15 गुना अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा। ऐसा करने के लिए आरक्षित कोटे के कट ऑफ को आठ फीसद तक कम किया जा सकता है| लेकिन, पूर्व से निर्धारित पास मार्क्स से कम अंक को किसी भी हाल में कट ऑफ निर्धारित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही सेवा आवंटन से जुड़े विवाद को भी इस प्रस्ताव के जरिए खत्म करने की कोशिश की गई है। बता दें कि इससे संबंधित कई मामले हाई कोर्ट में अब भी लंबित हैं।
स्वीकृत प्रस्ताव में नई व्यवस्था के तहत जो अभ्यर्थी आरक्षित कोटे से आते हैं, उन्हें अगर अनारक्षित वर्ग के बराबर अंक आते हैं तो वो अनारक्षित कोटे में जा सकते हैं| लेकिन सेवा आवंटन की प्रक्रिया में उस अभ्यर्थी को पसंदीदा पद के लिए लाभ नहीं मिलने की स्थिति में उन्हें फिर आरक्षित कोटे में मान लिया जाएगा। अंतिम मेरिट लिस्ट तैयार करने में हिंदी और अंग्रेजी विषय के अंक नहीं जोड़े जा सकेंगे। इसके अलावा साक्षात्कार के लिए सीटों की संख्या के हिसाब से 2.5 गुना उम्मीदवारों को बुलाया जाएगा।