झारखड स्टेट स्टूडेंट यूनियन की ओर से सातवीं से दसवीं जेपीएससी पीटी रिजल्ट में हो रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन के 37वें दिन राजभवन के समक्ष महाधरना दिया गया। जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों से छात्र शामिल हुए। सुबह 10 बजे से शुरू हुआ धरना कार्यक्रम में लगभग 400 विद्यार्थी शामिल हुए हैं। इसके बाद धरने में शामिल छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो व मनोज यादव ने राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें इन्होंने PT परीक्षा के परिणाम को रद्द कर नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग की है। इन्होने 10 प्वाइंट में इसकी त्रुटियां गिनाकर कहा कि PT परीक्षा का परिणाम JPSC की ओर से जारी विज्ञापन और नियमों के अनुरूप नहीं है। इसलिए इसे तत्काल रद्द किया जाए।
कोटिवार रिजल्ट देने के बाद भी आयोग ने कई आरक्षित वर्ग का रिजल्ट अनारक्षित वर्ग में डाला..
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक परीक्षाफल के प्रकाशन में कई त्रुटियां हैं। विज्ञापन में स्पष्ट कहा गया है कि प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट कुल रिक्तियों का लगभग 15 गुणा प्रकाशित किया जाएगा। यदि प्रकाशित रिजल्ट में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या में शामिल नहीं हो पाते हैं तो उनका कटऑफ तब तक नीचे किया जाएगा जब तक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या में शामिल न हो जाए। लेकिन आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट का प्रकाशन कुल रिक्तियों का 15 गुणा ना कर कोटिवार रिक्तियों का 15 गुणा कर दिया है। कोटिवार रिजल्ट देने के बाद भी आयोग ने कई आरक्षित वर्ग का रिजल्ट अनारक्षित वर्ग में डाल दिया है।
अभ्यर्थियों को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता: आयोग
वहीं, जेपीएससी ने अपने लिखित जवाब में यह स्वीकार्य किया है कि लोहरदगा तथा साहिबगंज परीक्षा केंद्र पर ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है, जिस वजह से कई अभ्यर्थी सीरियली पास कर गए। आयोग का कहना है कि वृहद पैमाने पर परीक्षा करवाने के कारण ऐसी गड़बड़ियां हुई, जिसके लिए अभ्यर्थियों को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
अभ्यर्थियों का इसमें क्या दोष है: छात्र नेता
छात्र नेताओं ने कहा कि अब सवाल है कि अपरिहार्य परिस्थिति उत्पन्न हुई या जानबूझकर की गई। क्योंकि आयोग के जवाब में भी विरोधाभास है। एक तरफ आयोग अपरिहार्य परिस्थितियों के लिए अभ्यर्थियों को उत्तरदायी नही ठहरता और दूसरी ओर उनके रिजल्ट को औपबंधिक मानते हुए आगे जांच की बात करता है। ऐसे में अभ्यर्थियों का इसमें क्या दोष है जो अपरिहार्य परिस्थिति के कारण प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं कर पाए।
सारी परीक्षाएं भंग करवाने की मांग है..
जानकारी के अनुसार लोहरदगा का वह सेंटर जहां से कई अभ्यर्थी सीरियली पास कर गए हैं। उस कक्ष में न तो कोई सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था और ना ही अभ्यर्थियों की वीडियो फोटोग्राफी करवाई गई थी। जबकि नियमानुसार ये प्रबंध होने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि इन त्रुटियों को ध्यान में रखकर झारखंड संयुक्त असैनिक सेवा (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा के परीक्षाफल को रद किया करने का आग्रह राज्यपाल से किया जा रहा है। साथ ही, झारखंड लोक सेवा आयोग को भंग कर इसकी सारी परीक्षाएं संघ लोक सेवा आयोग से करवाने की मांग है।
धरने में प्रवीण चौधरी, पवन कुमार, परवेज आलम, मनीष मिश्रा, कहकशा कमाल, परशुराम मानकी, रामू, खस्का, प्रदीप, अभिनव, जावेद, भारती कुमारी, कमलेश चौधरी, विनता, हिमांशु राजन, सोनू, सत्यनारायण आदि शामिल हैं।