जेपीएससी अभ्यर्थियों को एक बार सरकारी गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। झारखंड हाईकोर्ट ने विभिन्न विभागों में सहायक अभियंताओं की नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन को निरस्त कर दिया है। आज होने वाली सहायक अभियंताओं की ये परीक्षा पूरे राज्य में होने वाली थी। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने कहा है कि राज्य के विभिन्न कार्य विभागों में सहायक अभियंता के वर्ष 2019 के पूर्व की नियुक्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इन्हें केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के बाद की नियुक्ति में ही लाभ दिया जा सकता है।
इसके साथ ही न्यायलय ने मौजूदा सरकार को 50 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के लाभ के साथ अलग-अलग विज्ञापन निकालने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि आर्थिक रुप से पिछड़ों को आरक्षण देने की केंद्र सरकार के अधिसूचना के पहले की रिक्तियों में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होगा। वहीं अधिसूचना के बाद की रिक्तियों में 60 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया जा सकता है। अदालत ने ये संशोधित अधियाचना जेपीएससी को भेजने और उसके अनुसार ही आयोग को फिर से विज्ञापन जारी करने की निर्देश दिया है।
बता दें कि इस संबंध में रंजीत कुमार सिंह और अन्य ने याचिका दायर की थी।अधिवक्ता सौरभ शेखर ने प्रार्थियों का पक्ष रखते हुए कहा था कि सहायक अभियंताओं की नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए आरक्षण की सीमा 60 फीसदी कर दी गयी है। ये रिक्तियां वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक की है। 2019 के पहले की रिक्तियों में आर्थिक रूप से पिछड़ों को भी आरक्षण का लाभ दिया गया है, जो गलत है। 14 दिसंबर को इस पर सभी लोगों का पक्ष सुनकर, सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जिसके बाद गुरुवार को फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि नियुक्ति, वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक के रिक्त पदों के लिए है, जबकि केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। इस कारण 2019 के पूर्व की रिक्तियों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उस समय आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी ही थी।