महगठबंधन में एक बार फर नज़र आ रही फूट, बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगा झामुमो..

बिहार चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में दरार नज़र आ रही है| झारखंड में सत्ता संभाल रही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार विधानसभा की सात सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। झामुमो ने चकाई, कटोरिया, झाझा, धमदाहा, मनिहारी, पिरपैती और नाथनगर से अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया है। पार्टी मुख्यालय में मंगलवार को प्रेसवार्ता के दौरान केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इन सात सीटों के अलावा पार्टी और भी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए संगठन स्तर पर समीक्षा कर रही है। झामुमो ने झारखंड को संघर्ष करके हासिल किया है, खैरात में नहीं पाया है।

सुप्रियो ने कहा कि झारखंड में राजद से राजनैतिक रिश्ते की समीक्षा होगी। ज्ञात हो कि झारखंड में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन में कांग्रेस के अलावा राजद भी शामिल है। राजद के एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता राज्य सरकार में मंत्री हैं।

सुप्रियो ने कहा कि बिहार विधानसभा में तीन चरण में होने वाले चुनाव में किसी न किसी सीट पर झामुमो पूरे दमखम के साथ ताल ठोक कर लड़ेगा। उन्होंने कहा कि अकसर राजनीति में परिस्थितियां बदल जाती हैं। राजद का तेजस्वी नेतृत्व पुराने दिनों को भूल चुका है और ना ही उसे याद रखना चाहता है| वो झामुमो के संघर्ष को मानना नहीं चाहता। सुप्रियो ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे। आज राजद राजनीतिक शिष्टाचार भूल गया है इसलिए उसके खिलाफ मजबूरन लड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि बिहार में अब विपक्षी महागठबंधन जैसी कोई बात ही नहीं रही। इस बार वहां बहुकोणीय मुकाबला होगा। झामुमो ने काफी इंतजार किया, लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका है, यह तरकश में वापस नहीं आएगा।

सुप्रियो ने कहा कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन में राजद से एक भी विधायक नहीं होने के बावजूद सात सीट दी गई थी। हमारी पार्टी ने त्याग की भावना के तहत राजद को हैसियत से अधिक महत्व दिया। इतना ही नहीं,सिर्फ एक विधायक के जीतने पर उन्हें मंत्रिमंडल में भी जगह दी गई।

पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए सुप्रियो ने कहा कि चतरा से राजद विधायक सत्यानंद भोक्ता हेमंत सरकार के मंत्रीमंडल में श्रम मंत्री हैं। बिहार चुनाव को लेकर जो अनुभव मिला हैइसके बाद जाहिर तौर पर झारखंड में राजद और झामुमो के रिश्ते की समीक्षा होगी| हालांकि सही वक्त आने पर। फिलहाल झामुमो का ध्यान बिहार विधानसभा चुनाव पर केंद्रित होगा।

झामुमो के महासचिव ने कहा कि राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव राजनीतिक मर्यादा भूल गए है। लेकिन, झामुमो आज भी लालू यादव का आदर करता है और करता रहेगा। लालू यादव से सवाल किया गया है कि वैसे तो वो सामाजिक न्याय के तहत राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं, लेकिन उनका यह सिद्धांत झामुमो के संदर्भ में क्यों और कहां गुम हो गया। उनको इस सवाल का जवाब देना पड़ेगा। झामुमो के हिस्से में सिर्फ त्याग क्यों, अब झामुमो भी राजनीति करना सीख गई है।

सुप्रियो ने कहा कि झामुमो, नीतीश कुमार की नकारात्मक शक्ति और भाजपा की सांप्रदायिक सोच के खिलाफ बिहार की बेरोजगारी, हत्या युवा, असुरक्षित महिलायें, किसानों की दुर्दशा, पलायन के मुद्दे पर एक सशक्त लड़ाई चाहती है। बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो ने विपक्षी महागठबंधन में शामिल होने का काफी इंतजार किया। बिहार में झामुमो के पास अपना मजबूत संगठन है, इसका इल्म राजद को भी है। क्योंकि बिहार की राजनीति में शुरुआत से ही झामुमो का सीधा हस्तक्षेप रहा है। जब लालू पहली बार मुख्यमंत्री बने तब भी झामुमो का साथ उनको मिला। नीतीश कुमार जब नौ दिन के लिए पहली बार मुख्यमंत्री बने तब भी झामुमो ने साथ दिया था। झामुमो का ध्येय भाजपा को रोकना रहा है।