रांची झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. एस.एन. पाठक की अदालत ने सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) में इलेक्ट्रीशियन पद पर नियुक्ति को लेकर दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया. अदालत ने प्रार्थियों की याचिका स्वीकार करते हुए सीसीएल को निर्देश दिया कि आदेश की प्रति प्राप्त होने के तीन सप्ताह के भीतर प्रार्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करें. अदालत ने स्पष्ट किया कि विज्ञापन संख्या-63/28 मार्च 2023 के अनुसार प्रार्थी इलेक्ट्रीशियन (गैर उत्खनन/तकनीशियन) के पद पर नियुक्ति के लिए पूरी तरह योग्य हैं.
समानता के अधिकार पर जोर
अपने आदेश में अदालत ने कहा कि वर्ष 2018 में सीसीएल ने समान योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को इलेक्ट्रीशियन पद पर नियुक्त किया था. ऐसे में 2023 के विज्ञापन में समान योग्यता रखने वाले प्रार्थियों को नियुक्ति से वंचित करना संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा. अदालत ने इस बात को दोहराया कि यदि एक ही योग्यता पर पहले नियुक्ति हुई है, तो इस बार भी उसी आधार पर नियुक्ति सुनिश्चित होनी चाहिए.
अधिवक्ताओं की दलीलें
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन और सिद्धार्थ रंजन ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि सीसीएल ने वर्ष 2018 में भी इलेक्ट्रीशियन पद के लिए विज्ञापन निकाला था और उस समय समान क्वालिफिकेशन की मांग की गई थी. तब योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई. अब वर्ष 2023 के विज्ञापन में भी समान क्वालिफिकेशन मांगा गया, लेकिन योग्य प्रार्थियों को नियुक्ति से वंचित किया जा रहा है. यह प्रार्थियों के अधिकारों का हनन है.
प्रार्थियों की याचिकाएं
इस मामले में राहित राजेश और अन्य की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं. सभी याचिकाओं में प्रार्थियों ने समान मुद्दा उठाया था कि वे विज्ञापन में मांगी गई शैक्षणिक योग्यता और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं. इसके बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है.
फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद आदेश
19 नवंबर 2024 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. अब अदालत ने फैसला सुनाते हुए सीसीएल को निर्देश दिया कि वे प्रार्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करें.
क्या है मामला?
सीसीएल ने 28 मार्च 2023 को विज्ञापन संख्या-63 के तहत इलेक्ट्रीशियन (गैर उत्खनन/तकनीशियन) पद के लिए आवेदन मांगे थे. प्रार्थियों ने आवेदन दिया और सभी निर्धारित योग्यताओं को पूरा किया. इसके बावजूद उनकी नियुक्ति नहीं की गई. प्रार्थियों का तर्क था कि वर्ष 2018 में भी इसी पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया था और उस समय समान योग्यताओं के आधार पर नियुक्ति की गई थी. लेकिन इस बार नियुक्ति नहीं करना भेदभावपूर्ण है.
अदालत का निष्कर्ष
झारखंड हाईकोर्ट ने मामले में प्रार्थियों की दलीलों को सही ठहराते हुए सीसीएल को निर्देश दिया कि समानता के अधिकार का पालन करते हुए प्रार्थियों को नियुक्त किया जाए. अदालत ने यह भी कहा कि यदि पूर्व में समान परिस्थितियों में नियुक्ति हुई थी, तो वर्तमान में ऐसा न करना असंवैधानिक होगा.