झारखंड के कंप्यूटर ऑपरेटरों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वे राज्य के ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ) के अंतर्गत विभिन्न जिलों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों के वेतन से संबंधित मामले में जल्द से जल्द निर्णय लें. अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले पर निर्णय लेने के लिए चार महीने का समय दिया है. यह मामला झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में सुनवाई के लिए आया था. याचिकाकर्ताओं ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं मिल रहा है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 39 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है.
साल 2017 में जारी हुआ था वित्त विभाग का संकल्प
याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में उपस्थित अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया कि राज्य के वित्त विभाग ने वर्ष 2017 में एक संकल्प जारी किया था, जिसमें संविदा पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों का मानदेय प्रतिमाह ₹26,800 निर्धारित किया गया था. इसके बाद, वर्ष 2023 में इस मानदेय को बढ़ाकर ₹34,400 प्रतिमाह कर दिया गया.
ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत ऑपरेटरों को नहीं मिला वेतन का लाभ
हालांकि, यह बात सामने आई कि ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ) के अंतर्गत जिला स्तर पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को यह बढ़ा हुआ वेतनमान अब तक नहीं मिला है. जबकि, सचिवालय सहित अन्य विभागों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को यह लाभ दिया जा रहा है. इस असमानता के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत ऑपरेटरों में नाराजगी थी, और उन्होंने इस मुद्दे को हाईकोर्ट तक पहुँचाया.
चार माह में निर्णय लेने का निर्देश
अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, राज्य सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव को आदेश दिया कि वे वित्त विभाग के वर्ष 2017 और 2023 में जारी किए गए संकल्पों के आलोक में चार महीने के भीतर इस मामले पर निर्णय लें. इसके साथ ही अदालत ने इस याचिका को निष्पादित कर दिया है.
राज्य सरकार पर बढ़ा दबाव
इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह इस मामले पर शीघ्र निर्णय ले और जिला स्तर पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को समान वेतन का लाभ दिलाए. यदि सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो यह मामला राज्य के संविदा कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर असंतोष का कारण बन सकता है.