झारखंड सरकार अब शराब से करेगी बंपर कमाई, नई शराब नीति में किए गए ये सुधार..

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झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने शराब की खरीद-बिक्री और उसके भंडारण केा लेकर बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश सरकार ने बुधवार काे नई उत्‍पाद नीति पर अपनी मुहर लगा दी है। कैबिनेट ने उत्पाद विभाग की चार नीतियाें पर मुहर लगाई। बदले प्रावधानों के तहत अब झारखंड स्‍टेट बिव्रेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (Jharkhand State Beverages Corporation Ltd-JSBCL) प्रदेश में शराब का कारोबार करेगी। जेएसबीसीएल के माध्‍यम से ही शराब की खुदरा बिक्री की जाएगी। इसके अलावा बार को शराब बेचने के लिए न्‍यूनतम गारंटी भी देनी होगी। हेमंत कैबिनेट ने नई उत्‍पाद नीति के तहत किए गए इस बदलाव के तहत शराब बेचने से होने वाले राजस्‍व को 1800 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

नई नीति एक मई से लागू हाे सकती है। सरकार ने वर्तमान नीति काे 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया है। बैठक के बाद उत्पाद सचिव विनय कुमार चाैबे ने बताया कि नीति में बदलाव और राजस्व बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग काॅरपाेरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) काे कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था। उसकी अनुशंसा पर गोदामों की संख्या घटाई जाएगी।

73 की जगह अब हर प्रमंडल में एक यानी कुल पांच गाेदाम हाेंगे। टेंडर के माध्यम से चयनित पांच थाेक व्यवसायी अपनी शराब रखेंगे। ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम भी लागू हाेगा। उल्लेखनीय है कि रघुवर सरकार के कार्यकाल में 2017 के दौरान शराब की सभी रिटेल दुकानें विवरेज कॉरपोरेशन द्वारा चलाए जाने की नीति बनी थी।

खुदरा शराब दुकानों की संख्या 750 से बढ़ाकर 1500 की जाएगी..
चौबे ने बताया कि दुकानों की संख्या को भी 750 से बढ़ा कर 1500 किया जा रहा है। साथ ही अगले तीन वर्ष में राजस्व को 3000 करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहीं देशी शराब की बिक्री नियमावली में भी बदलाव किया गया है। इसके बोतल भी विदेशी शराब की तरह 180 एमएल, 360 एमएल और 750 एमएल की होंगी। देसी और मसालेदार शराब अब प्लास्टिक के पाउच की जगह बोतल में बिकेंगी।

सदस्य राजस्व पर्षद की आपत्ति के बाद सरकार ने ये किए बदलाव..

  • सदस्य राजस्व पर्षद की आपत्ति के बाद नई उत्पाद नीति में 2300 करोड़ के राजस्व लक्ष्य को बढ़ाकर 3000 करोड़ किया गया है।
  • थोक बिक्री के लाइसेंस के लिए अनुभव मात्र छह माह था। इसे 2 साल किया गया है।
  • सदस्य राजस्व पर्षद ने लिखा था कि कोरोना काल के राजस्व को आधार बनाकर लक्ष्य तय करना उचित नहीं है। वर्ष 2019-20 में 2084 करोड़ का राजस्व आया था, 10% भी ग्रोथ रखें, तो 2600 करोड़ होना चाहिए।

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