देश का सबसे बड़ा ग्रेफाइट उत्पादक बन सकता है झारखंड, पलामू में मिला भंडार..

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पलामू में शुरू हुए अन्वेषण कार्य के दौरान खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा सतबरवा प्रखंड के चांपी गांव में कार्य के पहले चरण में ही बड़े पैमाने पर ग्रेफाइट खनिज का भंडार मिला है l वन क्षेत्र के लगभग 20 वर्ग किलोमीटर की परिधि में 50 मीटर की गहराई तक में इसका फैलाव है। इसके परीक्षण के बाद 12 स्थलों की पुष्टि भी की गई है l वहीं दूसरे चरण के अन्वेषण में दो और स्थानों पर परीक्षण का कार्य होना है l इसके बाद ग्रेफाइट की वास्तविक उपलब्धता की स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी ।

हालांकि दूसरी तरफ खान एवं भूतत्व विभाग के समक्ष खनन के कार्य को लेकर वन विभाग ने आपत्ति जताते हुए पेड़ों की गिनती की शर्त रख दी है। इससे दूसरे चरण का अन्वेषण कार्य फिलहाल स्थगित है । अब एशिया प्रसिद्ध सोकरा ग्रेफाइट परियोजना का कार्य वन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने की प्रतीक्षा में है । परियोजना के उपनिदेशक राजेश कुमार पांडेय ने वन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन भी दिया है l

ग्रेफाइट अन्वेषण का कार्य सतबरवा के अलावा लेस्लीगंज के पूर्णाडीह में भी शुरू है । टीम ने दावा किया है कि ग्रेफाइट की गुणवत्ता यहां भी श्रेष्ठ है l विभाग के अधिकारियों के अनुसार खनन के बाद, देश में झारखंड ग्रेफाइट का सबसे बड़ा उत्पादक बन सकता हैl विभाग द्वारा सोकर, चांपी, तोरी व घुटवा में अन्वेषण कार्य की योजना तैयार की गई थीl जिसमें से सोकरा व चांपी क्षेत्र की मैपिंग के बाद पीलरिंग और ड्रिलिंग का कार्य शुरू किया जाना थाl

आपको बता दें कि ग्रेफाइट कई उत्पादों में प्रयोग किया जाता हैl इसकी मांग हर क्षेत्र में हैl इलेक्ट्रिक वाहन के लिथियम बैटरी में, स्मार्टफोन और लैपटॉप की बैटरी सहित अन्य उत्पादों में विश्व भर में इसकी मांग ऊंचे स्तर पर रहती हैl वर्तमान में भारत के ग्रेफाइट के लिए चीन और ब्राजील जैसे देशों पर आश्रित हैl हालांकि माना जा रहा है पलामू में ग्रेफाइट व खनन कार्य शुरू हो जाने से अन्य देशों पर इसकी निर्भरता बहुत हद तक घटेगी साथ ही लोगों को रोजगार भी मिल सकेगाl इसके बावजूद सरकार की एजेंसियों में तालमेल के अभाव के कारण कार्य बाधित पड़ा हैl

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