झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति मामला: हाई कोर्ट ने 200 पद सुरक्षित रखने का आदेश रखा बरकरार….

झारखंड उच्च न्यायालय में सोमवार को असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले पर विचार किया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया के तहत 200 पदों को सुरक्षित रखने के अपने पहले के अंतरिम आदेश को बरकरार रखा.

संविदा कर्मियों को आरक्षण न मिलने पर उठे सवाल

इस मामले में बहादुर महतो और अन्य याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि वर्ष 2023 की सहायक आचार्य (Assistant Professor) नियुक्ति नियमावली में संविदा पर कार्यरत बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) और सीआरपी (क्लस्टर रिसोर्स पर्सन) जैसे कर्मियों को आरक्षण से वंचित कर दिया गया है.

2022 की नियमावली में था आरक्षण का प्रावधान

याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2022 में बनाई गई नियुक्ति नियमावली में संविदा पर शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मियों को 50% आरक्षण दिया गया था. लेकिन नई नियमावली में यह व्यवस्था हटा दी गई है, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है.

2023 की नियमावली में केवल पारा शिक्षकों को आरक्षण

वर्ष 2023 में सरकार द्वारा संशोधित नियमावली के अनुसार, अब केवल पारा शिक्षकों को ही सहायक आचार्य की नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान रखा गया है. इस बदलाव को लेकर संविदा पर कार्यरत कर्मियों ने विरोध जताया है और इसे भेदभावपूर्ण बताया है.

जेएसएससी की ओर से दी गई सफाई

इस मामले में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 की नियमावली में संविदा कर्मियों को आरक्षण का लाभ जरूर दिया गया था, लेकिन इसके बाद सरकार ने नीति में बदलाव करते हुए वर्ष 2023 में नई नियमावली लागू की, जिसमें संविदा कर्मियों को आरक्षण नहीं दिया गया.

राज्य सरकार ने बदल दी नियुक्ति नीति

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब सिर्फ पारा शिक्षकों को सहायक आचार्य के पद पर नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. सरकार का तर्क है कि पारा शिक्षक लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं और उन्हें विशेष लाभ दिया जाना चाहिए.

कोर्ट ने फिलहाल पूर्व आदेश को बरकरार रखा

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ ने यह आदेश दिया कि जब तक मामले का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक नियुक्ति प्रक्रिया में 200 पदों को सुरक्षित रखा जाए. इसका मतलब यह है कि इन पदों पर फिलहाल किसी भी तरह की नियुक्ति नहीं की जाएगी और अदालत के अंतिम आदेश तक ये पद आरक्षित ही रहेंगे.

अगली सुनवाई तक स्थिति यथावत

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक यह स्थिति बनी रहेगी और जब तक मामला पूरी तरह से सुलझ नहीं जाता, तब तक सरकार कोई नई नियुक्ति इन 200 पदों पर नहीं कर सकती.

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