धनबाद : बहु अनुशासनिक कला अब आधुनिक समय की मांग है। कला से मनुष्य का जुड़ाव काफी सालों से है। धनबाद के झरिया की बेटी ऐश्वर्या बहु अनुशासनिक कला में अंतराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचा रही है। कई देशों में ऐश्वर्या के कला की सराहना हुई है। दो दशक में ऐश्वर्या इस क्षेत्र में एक कलाकार के रूप में स्थापित हो चुकी है। 35 वर्षीय ऐश्वर्या का जन्म झरिया में हुई थी। उनकी प्राथमिक शिक्षा और बचपन झरिया में बीता है। आगे की शिक्षा के लिए वह देहरादून चली गई। यहां की पढ़ाई पूरी कर फ्रांसीसी सरकार की फेलोशिप पर वह कला की उच्च शिक्षा के लिए पेरिस पहुंची। एक साल वहां रहने के बाद भारत अपने देश लौट कर बहु अनुशासनिक कला के क्षेत्र में पूरी तरह से रम गई। दो दशक में ऐश्वर्या इस कला में अब एक अंतरराष्ट्रीय कलाकार के रूप में स्थापित हो चुकी हैं।एक साल पहले अपने पैतृक घर झरिया आने के बाद ऐश्वर्या ने अपने घर की छत पर बहु अनुशासनिक कला की प्रदर्शनी लगाई। किंतुस्गी द एनसेस्ट्रल हाउस प्रोजेक्ट वर्कशाॅप में अनेक लोग व कलाकार शामिल हुए। इस वर्कशॉप में स्लम एरिया पांडेयबेरा, बनियाहीर आदि क्षेत्र के बच्चों को कला की शिक्षा दी गई।
ऐश्वर्या देश-विदेश में दर्जनों बहु अनुशासनिक कला प्रदर्शनी का आयोजन कर चुकी है। ऐश्वर्या का कहना है कि झरिया के बच्चों में इस कला की बहुत संभावना है। इसीलिए यहां के बच्चों को इसका प्रशिक्षण दे रहे हैं। झरिया के बच्चों को कला के क्षेत्र में ऊंचाई तक पहुंचाना ही मेरा मकसद है। इसके साथ ही ऐश्वर्या का कहना है कि भिन्न-भिन्न प्रकार की चित्र कलाओं जैसे मधुबनी चित्र कला, सोहराय चित्र कला आदि कलाओं को जोड़कर उसे प्रदर्शित करना ही बहु अनुशासनिक कला कहलाता है। यह लोगों को खूब प्रभावित करता है। बचपन से ही उनकी कलाकृतियों को कई पुरस्कार भी मिले। ऐश्वर्या ने कहा कि कला का क्षेत्र विराट है। कला का भी भूमंडलीकरण हुआ है। आज के आधुनिक काल में बहु अनुशासनिक कला विचार को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। झरिया में जन्मी ऐश्वर्या का यहां से आत्मिक लगाव है।