जमशेदपुर के सौम्य दीप ने किया ऊर्जा भंडारण में क्रांतिकारी आविष्कार…

जमशेदपुर के सौम्य दीप ने ऊर्जा भंडारण की दुनिया में एक बड़ी क्रांति लाते हुए, थर्मो डायनामिक्स के दूसरे नियम को गलत साबित कर दिया है. उन्होंने फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण प्रणाली (एफइएसएस) की दक्षता और ऊर्जा भंडारण क्षमता को बढ़ाने की एक नई तकनीक विकसित की है. यह तकनीक 19 जून 2024 को कोलकाता के बौद्धिक संपदा भवन में पेटेंट की गई थी.

सौम्य दीप का बैकग्राउंड

सौम्य दीप जमशेदपुर के राजेंद्र विद्यालय के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजेंद्र विद्यालय से की और 2007 में 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद, उन्होंने बेंगलुरु के दयानंद सागर कॉलेज से बीटेक और जर्मनी के आकेन यूनिवर्सिटी से रिन्यूबल एनर्जी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की. वर्तमान में, सौम्य दीप जमशेदपुर के मानगो स्थित विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में प्रशासक हैं और साथ ही निरंतर रिसर्च कर रहे हैं. अब तक, उन्होंने पांच रिसर्च का पेटेंट करवाया है.

फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण तकनीक

फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण प्रणाली एक यांत्रिक बैटरी है जो घूर्णनात्मक गतिज ऊर्जा के रूप में ऊर्जा को संग्रहित करती है. यह प्रणाली नवीकरणीय ऊर्जा के पूर्ण लाभों को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण समाधान के रूप में मानी जाती है. फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण तकनीक नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा संग्रहित करती है और आवश्यकता पड़ने पर ऊर्जा की आपूर्ति करती है.

तकनीक की विशेषताएं

सौम्य दीप की तकनीक फ्लायव्हील की ऊर्जा भंडारण क्षमता और आउटपुट दक्षता को बहुत अधिक बढ़ा सकती है. उन्होंने गणितीय रूप से सिद्ध किया है कि उनकी तकनीक से फ्लायव्हील ‘ओवर यूनिटी एफिशिएंसी’ प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें आउटपुट ऊर्जा इनपुट ऊर्जा से अधिक होती है. सामान्य तौर पर, यह थर्मो डायनामिक्स के दूसरे नियम का उल्लंघन है. थर्मो डायनामिक्स का दूसरा नियम कहता है कि ऊर्जा परिवर्तन स्वतः होता है, लेकिन ऊर्जा केवल उच्च तापमान से निम्न तापमान की ओर प्रवाहित होती है. साथ ही, ऊर्जा में जितना इनपुट डाला जाता है, उससे कम ही आउटपुट हमेशा निकल कर आता है. लेकिन, सौम्य दीप की तकनीक के इस्तेमाल से अगर एक किलोवाट ऊर्जा इनपुट के तौर पर निवेश किया गया है, तो उसका आउटपुट करीब 1.5 किलोवाट ऊर्जा के रूप में निकल कर सामने आएगा.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की सराहना

सौम्य दीप ने अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए कई प्रशंसाएँ अर्जित की हैं. जब वह नौवीं कक्षा में थे, तब उन्हें पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से ‘मौसम नियंत्रण प्रणाली’ से संबंधित एक पेपर प्रेजेंट करने के लिए सराहना मिली थी. यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण था जिसने उन्हें और अधिक प्रेरित किया.

भविष्य की संभावनाएं

सौम्य दीप का यह आविष्कार ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. इससे न केवल ऊर्जा भंडारण की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि ऊर्जा की कमी की समस्या को भी काफी हद तक दूर किया जा सकता है. उनकी तकनीक से ऊर्जा का अधिकतम उपयोग संभव होगा और देश में ऊर्जा की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी. इस आविष्कार के पेटेंट होने से सौम्य दीप ने न केवल जमशेदपुर का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरे देश को गर्वित किया है. उनके इस आविष्कार से ऊर्जा के क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे और भविष्य में इसके और भी अधिक उपयोगी होने की संभावना है.

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