नए संसद भवन के निर्माण में जमशेदपुर के शशांक ने निभाया कॉर्डिनेटर का किरदार..

28 मई का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दिन रहा। क्योंकि रविवार ,28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के नए उद्घाटन किये हैं।संसद भवन बनने के सफर में भारत के कई लोगों ने अपनी भूमिका निभाई है और खुद को गौरवान्वित महुसूस कर रहें है। आपको जानकर खुशी होगी की भारत का नया संसद भवन बनकर तैयार होगया है और इस नए संसद भवन के निर्माण का पूरा काम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड ने किया है, और उससे भी गर्व की बाते ये है की इस प्रोजेक्ट के को-ऑर्डिनेटर झारखंड के शशांक राज हैं।शशांक जमशेदपुर के राजेंद्र विद्यालय के पूर्व छात्र हैं और आदित्यपुर के रहने वाले हैं। शशांक ने बतौर को ऑर्डिनेटर उन्होंने सरकार, मंत्री और अपनी कंपनी के बीच में समन्वय का काम किया.

शशांक ने शेयर किया अपना अनुभव

झारखंड के युवा इंजीनियर शशांक ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट पर घंटों काम किया है ये बिल्कुल आसान नहीं था इस प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर का किरदार निभाने में काफी माथापच्ची की है। उन्होंने बताया की वह शुरू से ही इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य से जुड़े थे। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए बताया की इस नए संसद भवन में इस्तेमाल होने वाला हर चीज देसी है।वो चाहे कार्पेट हो या चेयर्स । उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों का भी पूरा ध्यान रखा गया। इस नए संसद भवन में सांसदों के सुविधा के विश्राम के लिए एक कोर्ट रूम भी बनाया गया है।जिसके निर्माण से पहले यहां पर सात बड़े-बड़े वृक्ष थे, जिसे काटा नहीं गया बल्कि उन्हें टाटा द्वारा संरक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि नये संसद भवन में जो राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ लगाये हैं, वह दूर से भी काफी क्लियर दिखाई देता है। वहीं अशोक स्तंभ के ठीक नीचे एक पेंडुलम बनाया गया है, जो मशीन या बैटरी से नहीं चलता है बल्कि वो पूरी तरह से पृथ्वी के रोटेशन पर आधारित है। आपको जानकर हैरानी होगी की जैसे-जैसे पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमेगी, वैसे-वैसे समय का पता चलेगा ।उन्होंने बताया कि यह पेंडुलम तकनीकी रूप से काफी एडवांस है और काफी विशालकाय भी। शशांक ने कहा कि ये पूरे जमशेदपुर के लोगों के गर्व की बात है के इसमें जो इन्फॉन्ट बार का इस्तेमाल किया गया है, वह भी टाटा स्टील द्वारा बनाया गया है। शुरू से लेकर अंत तक करीब ढाई साल तक इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहने वाले शशांक का मानना है कि यह संसद भवन , भारत का गौरव है। यह इमारत हिस्टोरिक है ।जैसे-जैसे लोग इस इमारत की खूबियों को जानेंगे, खुद के भारतीय होने पर गौरव करेंगे।