जहां अब तक झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा प्रमाण पत्रों में हुई त्रुटि के सुधार के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था। वही अब जैक द्वारा की गई गलतियों के सुधार के लिए विद्यार्थीयों को शुल्क देना होगा। इस मामले पर जैक के सचिव महीप कुमार सिंह का कहा कि अगले सत्र से इस संशोधन शुल्क को लागू कर दिया जाएगा। इस बार कोरोना की वजह से छात्रों से संशोधन के लिए कोई राशि नहीं ली गई। शुल्क के रूप में कितनी राशि देनी पड़ेगी इस बात पर अभी चर्चा जारी है। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि प्रत्येक पत्र पर सुधार के लिए 300-500 रुपये शुल्क देने होंगे।
इधर, इस फैसले पर विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि प्रमाण पत्रों में ज्यादातर गलतियां जैक द्वारा की जाती है। इसमें नाम, जन्म तिथि से लेकर माता-पिता तक के नाम गलत अंकित कर दिए जाते हैं। अब जैक अपनी की गई भूल पर छात्रों से शुल्क के रूप में एक मोटी रकम वसुलने के जुगाड़ में है। जिसका आर्थिक रूप से पूरा असर विद्यार्थियों पर पड़ेगा।
अपने फैसले पर जैक का कहना है कि अब रजिस्ट्रेशन से लेकर परीक्षाओं के आवेदन तक की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन हो गई है। आवेदन में गलतियां ना हो इसलिए छात्रों को ही जिम्मेवार ठहराया गया है। संशोधन के मामले अधिक नहीं आए इसलिए छात्रों को सावधानीपूर्वक अपनी सारी जानकारी देने की बात कही गई है। संशोधन के लिए हर बार सैकड़ों आवेदन आते हैं। इस बार कोरोना के कारण संशोधन के लिए देर से आवेदन आमंत्रित किए गए है और आवेदन में विलंब होने पर विलंब शुल्क के रूप में 400 रुपए लिए जाएंगे।