होली का त्योहार यूं तो पूरे देश में मनाया जाता है और इसके विविध रंग भी देखने को मिलते हैं। मथुरा और बरसाने में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को याद करके लट्ठमार होली, लड्डू की होली, फूलों की होली, रंग और गुलाल की होली खेलते हैं। होली के इस अनोखे रूप को देखने दुनिया भर से लोग यहां आते हैं। लेकिन हरि का हर से ऐसा प्रेम और स्नेह है कि मथुरा की गलियों से निकलकर हर यानी भगवान भोलेनाथ से होली खेलने देवघर पहुंच जाते हैं। दरअसल झारखंड के प्रसिद्ध देवघर मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा चली आ रही है जिसमें हर और हरी की होली का आयोजन किया जाता है। भव्य आयोजन के बीच भगवान श्रीकृष्ण यानी हरि और भगवान शिव यानि हर का होली मिलन समारोह होता है। इनका स्नेह ऐसा है कि भगवान शिव अपने शीश पर श्रीकृष्ण को स्थान देते हैं। फिर गुलाल से होली खेलते हैं।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर प्रांगण में स्थित राधा कृष्ण मंदिर से होली आरंभ होता है और एक निर्धारित शुभ मुहूर्त में श्रीकृष्ण की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाकर श्रीकृष्ण की प्रतिमा को बाबा वैद्यनाथ के शिवलिंग के ऊपर रख दिया जाता है। इस तरह हरि-हर का मिलन होता है और वह होली खेलते हैं।
इस अनोखे होली मिलन को देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के धाम पर आते हैं। इस साल गुरुवार की देर रात डेढ़ बजे हरिहर मिलन होगा। रात्रि 1:10 बजे मंदिर पुजारी व आचार्य परंपरा अनुसार मंदिर स्टेट की ओर से होलिका दहन की विशेष पूजा करेंगे। रात 1:28 पर होलिका दहन के पश्चात भगवान को पालकी पर बिठा कर बड़ा बाजार होते हुए पश्चिम द्वार से मंदिर लाया जाएगा। रात 1:30 बजे कृष्ण व बाबा बैद्यनाथ का मिलन होगा। उसके बाद होली के रंग बरसने लगेंगे और मंदिर में आए श्रद्धालु एक दूसरे को गुलाल मलकर होली खेलेंगें।