रांची, राज्य ब्यूरो: झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में लंबे समय से रिक्त पड़े संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में हो रही देरी को गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने सोमवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि अगस्त 2025 तक लोकायुक्त, सूचना आयुक्त और महिला आयोग सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर कोर्ट को सूचित किया जाए।
यह सुनवाई हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन और सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार द्वारा दाखिल जनहित याचिकाओं पर हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभय मिश्रा ने दलील दी कि राज्य में लोकायुक्त, महिला आयोग के अध्यक्ष, सूचना आयोग के आयुक्त जैसे अति आवश्यक संवैधानिक पद कई वर्षों से खाली हैं, जिसकी वजह से हजारों शिकायतें और मामले लंबित पड़े हैं।
सरकार ने कोर्ट से मांगा समय, कोर्ट ने दी अंतिम चेतावनी
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को जानकारी दी कि नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति हो चुकी है और अब कुछ पदों के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि बाकी पदों की नियुक्ति पूरी करने के लिए कुछ समय और दिया जाए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि यह ‘जल्द प्रक्रिया शुरू होगी’ जैसे सामान्य जवाब अब स्वीकार नहीं किए जाएंगे। यदि सरकार द्वारा अगस्त तक सभी संवैधानिक रिक्त पदों को भरने की सूचना नहीं दी जाती है, तो अदालत कड़ा रुख अपनाएगी।
न्यायिक निष्क्रियता और प्रशासनिक सुस्ती से जनता हो रही है परेशान
अदालत ने यह भी कहा कि इन संवैधानिक संस्थाओं का अस्तित्व केवल कानून में नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में है। यदि इन संस्थाओं में नियुक्तियां नहीं की जाती हैं, तो जनहित की गंभीर उपेक्षा होती है।