रांची हिंसा पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- उपद्रव के लिए अचानक 10 हजार लोग कैसे एकत्र हुए?

10 जून को हुई राँची में हिंसा मामले में दायर जनहित याचिका की शुक्रवार को झारखण्ड हाई कोर्ट में सुनवाई हुईl चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सरकार से पूछा कि दस हजार लोग एक साथ कैसे जमा हो गएl इसके अलावे बेंच ने यह भी पूछा की घटना में कितने लोग घायल हुए और कितनी लोगों की मौत हुई हैl साथ ही कितनी गोलियां चलीl दरअसल इस मामले में जनहित याचिका पंकज यादव के द्वारा दायर की गयी थीl प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत से जल्द सुनवाई का आग्रह किया थाl मामले की अगली सुनवाई अब 24 जून को होगीl

बता दें कि 10 जून को राजधानी के एकरा मस्जिद से जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने मेन रोड पर काफी हंगामा मचायाl प्रदर्शन के दौरान उनकी पुलिस से भी झड़प हुई जिसमें एक थानेदार गंभीर रूप से घायल भी हुआl जबकि हिंसक हुए प्रदर्शनकारियों को कण्ट्रोल करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी. घटना में दो लोगों की मौत हो गयी जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गएl

NIA जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर..
बता दें कि भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान पर विरोध प्रदर्शन के लिए रांची में विगत 10 जून को हिंसा और उपद्रव की घटनाएं हुई थीं। उपद्रवियों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की थी। हिंसा की इस घटना की एनआईए जांच की मांग को लेकर पंकज कुमार यादव नामक व्यक्ति ने याचिका दायर की है।

याचिका में इन लोगों को बनाया प्रतिवादी..
याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआईए, ईडी को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में अदालत से झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपियों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है। इसमें रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए यह पता लगाने का आग्रह किया गया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया।

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