गाँव पंचायतों को सुदृढ़ बनाने की ओर एक और पहल किया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग की ओर से अनुसमर्थन दीदी की सेवाएं लेने का विचार किया जा रहा है। इन दीदीयों के माध्यम से ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाये जाने, ग्राम सभा का नियमित आय़ोजन और ग्राम विकास योजनाओं का लोगों के इच्छा अनुसार डिजाइन किये जाने में मदद ली जायेगी। इससे सरकार और गाँव के बीच की कड़ी और भी मज़बूत बनाया जाएगा। राज्य में कुल 4356 पंचायतें हैं। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत फिलहाल 91 प्रखंडों के 456 ग्राम पंचायतों में अनुसमर्थन केंद्र स्थापित कर अनुसमर्थन दीदी की सेवाएं लिए जाने की योजना है।
गाँव में विकास की गति तेज़ होने की संभावनाओं को पंचायती राज विभाग अनुसमर्थन दीदी के माध्यम से आंक रहा है। हालाँकि फिलहाल ट्रायल के तौर पर अनुसमर्थन दीदी के संकल्पना पर विभाग काम करेगा और 4 – 5 महीनों के लिए इनकी सेवाएं ले कर इसकी उपयोगिता आकलन किया जाएगा। राज्य के 4356 पंचायतों में से 4230 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन की सुविधा उपलब्ध है। जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत 91 प्रखंडों के लिए प्रशासनिक और तकनीकी सहायता के रूप में प्रति प्रखंड 50,000 रुपये की व्यवस्था है।
इन प्रखंडों की 546 पंचायत हैं और प्रत्येक पंचायत में दो अनुसमर्थन दीदी सेवाएं देंगी जो पंचायत भवन में 10 बजे से 1 बजे तक बैठेंगी। ग्राम सभाओं के नियमित आय़ोजन औऱ लोगों की मांग के अनुसार ग्राम विकास योजनाओं (जीपीडीपी) के चयन और उसे धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभाएंगी। सरकारी योजनाओं अथवा पेंशन सेवाओं में समस्या आने पर ग्रामीणों को ब्लॉक या जिला प्रशासन के पास नहीं दौड़ना होगा। इसके एवज में उन्हें पावती रसीद भी मिलेगी जिससे वे पता लगा सकेंगे कि आखिर उसका निदान हुआ कि नहीं।
2010 में लम्बे अरसे के बाद राज्य में पंचायती राज व्यवस्था को दोबारा शुरु किया गया जिसके अंतर्गत पंचायत चुनाव हुए। लेकिन यह देखा गया की श्रम शक्ति के आभाव के कारण पंचायत के समक्ष अब भी चुनौतियां हैं। 4356 पंचायतों में अभी 1977 पंचायत सचिव ही काम कर रहे हैं जिन पर कार्यभार बहुत ही ज्यादा है. एक पंचायत सचिव कई अन्य पंचायतों के प्रभार में भी हैं। ऐसे में अनुसमर्थन दीदी के सहयोग से कुछ हद तक पंचायतों के कामकाज में सुविधा की संभावनाएं बढ़ेंगी।
ग्रामीण विकास की सहायता से अनुसमर्थन दीदी की टीम तैयार की जाएगी। संचार कौशल, दूसरों को साथ ले कर चलने की कला के अलावा एंड्रॉइड मोबाइल के
उपयोग जैसी कला के आधार पर दीदी की जवाबदेही एसएचजी सदस्य को दी जाएगी। पंचायती राज निदेशक आदित्य रंजन का कहना है कि ग्राम सभाओं की महत्ता को मजबूती से स्थापित किये जाने की जरूरत है। इसके अंतर्गत ली जाने वाली योजनाओं और उस पर अमल करने से गांव पंचायतों की वास्तविक जरूरतों की परख होगी और जरूरतों को पूरा करने में आसानी होगी।