रांची: झारखंड में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद की प्रक्रिया 15 दिसंबर से शुरू होगी। एमएसपी पर धान बेचने वाले किसानों को 50 प्रतिशत राशि का भुगतान तत्काल कर दिया जाएगा, जबकि शेष राशि का भुगतान तीन माह के भीतर किया जाएगा। खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में किसानों से धान अधिप्राप्ति को लेकर राज्य सरकार की नीति को स्पष्ट किया। यह भी स्पष्ट किया कि एक किसान से अधिकतम 200 क्विंटल धान की खरीद ही की जाएगी।
रामेश्वर उरांव ने बताया कि धान क्रय के लिए राज्य सरकार राशि का इंतजाम कर रही है। एसबीआइ और बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ उपलब्ध कराएगी, व्यापारियों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। यही वजह है कि अधिकतम खरीद की सीमा तय की गई है।
लाल राशन कार्डधारियों ने उठाया गलत फायदा
खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने स्वीकार पिछले वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ गलत लोग भी किसान के नाम पर घुस आए थे। छानबीन में यह बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि 65 हजार वैसे लोगों ने धान की बिक्री की, जिनके पास लाल राशन कार्ड था। अर्थात वे गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे थे। इसका मतलब यह हुआ कि या तो उनका राशन कार्ड गलत था या फिर किसान होने का सर्टिफिकेट गलत बना हुआ था, क्योंकि गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले धान क्रय केंद्र में आकर धान नहीं बेचते हैं।
वे अपनी उपज से वर्ष भर की जरूरतों को पूरा करते हैं। यह बात भी सामने आयी है कि कई किसानों ने 400 से लेकर 1000 क्विंटल तक धान बेचा, जबकि सच्चाई यह है कि झारखंड में कोई ऐसा किसान नहीं है, जो एक हजार क्विंटल धान एक वर्ष में बेच सके। गड़बडिय़ों की जांच हो रही है और चिह्नित कर दोषियों की पहचान होगी।