नियुक्ति के बाद 42 दोरागा की सेवा समाप्त करने के मामले में शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई| अदलात में इस मामले में सरकार को सभी बर्खास्त दारोगा की सेवा बहाल करने का अंतिम मौका दिया है। जस्टिस एचसी मिश्र की अदालत ने सरकार को छह सप्ताह में सभी की सेवा बहाल करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राहुल कुमार ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील रखी| उन्होंने अदालत को बताया कि झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में निकाले गए सभी दारोगा को बहाल करने का आदेश दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया। ऐसे में राज्य सरकार को अब जल्द से जल्द नियुक्ति करनी चाहिए। अदालत ने इस पर राज्य सरकार को अंतिम मौका देते हुए नियुक्ति के बाद निकाले गए सभी 42 दारोगा को वापस बहाल करने का निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला
साल 2008 में दारोगा, कंपनी कमांडर और सार्जेंट मेजर पद के लिए बहाली निकाली गई थी। सारी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद कई अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द कर दी गई। वहीं जब नियुक्ति में गड़बड़ी की बात सामने आई तो संशोधित मेरिट लिस्ट जारी की गई। लेकिन इसमें 42 दारोगा को नौकरी से हटा दिया गया। जिसके बाद इन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। एकल पीठ और खंडपीठ ने सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए सभी 42 दारोगा को वापस बहाल करने का निर्देश दिया है।