सरकार लगातार प्रतियोगिता परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को दे रही है बढ़ावा..

Jharkhand:झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में लाए जाने वाले झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 को लेकर विवाद शुरू हो गया है। विधेयक के कई प्रावधानों पर सत्ता से लेकर विपक्ष तक के नेताओं ने सवाल उठाए हैं। बिल में प्रावधान है कि यदि प्रश्नपत्र को लेकर किसी व्यक्ति द्वारा दी गई या प्रकाशित की गई कोई सूचना भ्रामक साबित होती है, तो उसपर भी मुकदमा दर्ज होगा। वहीं जेल भेज जाने के प्रावधान की भी आलोचन हो रही है। एक ओर जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह विधेयक राज्य के लिए काला कानून बनाने जैसा है। वहीं सत्ता पक्ष के विधायक प्रदीप यादव ने भी प्रस्तावित विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि प्रावधानों में परिवर्तन के लिए वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे

कहां गए सरकार के वादे….
बाबूलाल ने कहा कि राज्य की जनता, मजदूर, किसान, आदिवासी, दलित सभी आज सड़क पर उतर कर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। इनके वादों, लंबी-चौड़ी घोषणाओं को याद करा रहे । नियोजन- स्थानीय नीति पर जनता सवाल पूछ रही। खान, खनिज की लूट और आकंठ भ्रष्टाचार पर कटघरे में खड़ा कर रही। ऐसे में ये सरकार तिलमिलाई हुई है।

छात्रों को जेल भेजने के लिए बना रहा काला कानून है…..
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा इस विधेयक का सड़क से सदन तक विरोध करेगी। क्योंकि इस विधेयक के प्रावधान देशद्रोह, पोक्सो, एसटी, एससी अत्याचार निवारण जैसे कानून से भी ज्यादा ताकतवर हैं। जिसमें सवाल खड़े करने वाले अभ्यर्थियों पर 10 साल का प्रतिबंध, बिना प्रारंभिक जांच के एफआईआर दर्ज करने, बिना जांच गिरफ्तार करने और किसी भवन में घुसकर तलाशी लेने का सख्त प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह छात्रों को जेल भेजने के लिए लाया गया काला कानून है।

भ्रष्टाचार पर डाल रहीं पर्दा….
बाबूलाल ने कहा कि राज्य सरकार की नीयत साफ नहीं है। इसलिए यह सरकार लगातार प्रतियोगिता परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड सिविल सेवा की परीक्षा में एक ही परीक्षा केंद्र से एक ही क्रम वाले रोल नंबर के अभ्यर्थियों के उत्तीर्ण होने का मामला उजागर हो चुका है। इसी तरह जू ऐप पर पढ़ें इंजीनियर की बहाली में पेपर आउट करने का आरोप संस्था पर लगा। इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन प्रबल विरोध के कारण बाद सरकार ने गलती स्वीकारी। दबाव में कुछ नाम भी हटाए गए, लेकिन आज तक उस परीक्षा की ओएमआर शीट जारी नहीं हुई।

काला कानून पर बोली सरकार….
सीएम हेमंत सोरेन ने विधेयक को लेकर कहा कि कुछ लोग इसे काला कानून कह रहे है। अगर अपनी आंखों से आप काला चश्मा उतार लेंगे तो सबकुछ सफेद दिखेगा। इसके बाद सदन में मौजूद लोगों ने कानून को लेकर सदन में हंगामा करने लगे। काला कानून बंद करो का नारा लगाया।

सजा को करे कम..
प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहा। अगर धारा 12 धारा 15 देखें तो परीक्षा में नकल करते कोई छात्रा पकड़ा गया तो उसकी सजा होगी। यह जो सजा है, वह बहुत ही कठोर है, उसको कम करे। सात साल की जगह तीन साल की सजा की जाए। छात्रों के प्रति इतना कठोर नहीं होना चाहिए।