शिक्षकों के इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर के लिए सरकार ला रही पोर्टल..

बुधवार को झारखंड विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान विधायक मथुरा महतो ने शिक्षकों के गृह जिले में स्थानांतरण से संबंधित सवाल उठाये थे |उन्होंने पूछा कि शिक्षकों के स्थानांतरण पर सरकार क्या विचार रखती है | इस प्रश्न का जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि जो नियुक्तियां हुई हैं वो जिलावार रोस्टर के आधार पर ही हुई थीं, लेकिन सरकार एक पोर्टल बना रही है जिसके माध्यम से स्थानांतरण के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों पर विचार किया जाएगा | साथ ही ,उन्होंने बताया कि पोर्टल पर देखा जाएगा कि किसका स्थानांतरण कितना जरूरी है |सभी बिंदुओं को देखने के बाद ही फैसला लिया जाएगा , लेकिन यह विशेष परिस्थितियों में किया जाएगा | फिलहाल यह पोर्टल ट्रायल पर है | मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि सभी शिक्षकों को गृह जिले में स्थानांतरण की सुविधा दी जाएगी तो बड़ी असमानता उत्पन्न हो जाएगी | सभी लोग रांची, जमशेदपुर, धनबाद जैसी जगह पर रहना चाहेंग , ऐसे में कई जिलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षक हो जाएंगे, कहीं बहुत कम हो जायेंगे |

जानकारी के अनुसार ,विधायक मथुरा महतो ने कहा कि पहले तो पुरानी व्यवस्था को शिथिल करना होगा, तभी पोर्टल के माध्यम से कुछ होगा | इसका जवाब देते हुए मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि शिथिल कर देने से स्थिति असहज हो जाएगी व पोर्टल के माध्यम से आवेदन किये जाएंगे तो सरकार शीघ्र कार्यवाई करेगी | इस जवाब से सदन के अधिकतर विधायक असंतुष्ट दिखे और दूसरी व्यवस्था तय करने को कहा है | वहीं , इसपर आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार विचार करेगी कि इस विषय में क्या किया जा सकता है |

आपको बता दें कि गिरिडीह विधायक सुदिव्य सोनू ने कहा पोर्टल के माध्यम से आवेदन होने पर शिक्षकों का स्थानांतरण अधिकारियों की रहमोकरम पर होगा | अधिकारी जिसे चाहेंगे, उनके लिए पिक एंड चूज़ की व्यवस्था लागू हो जाएगी | वहीं ,ऐसे में अन्य दूसरी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए | इस सन्दर्भ में बंधु तिर्की ने कहा कि कई ऐसे मामले हैं जिनमें पति किसी जिले में कार्यरत है और पत्नी किसी जिले में है , ऐसे मामलों में सरकार को स्थानांतरण पर विचार करना चाहिए | सदन में इस चर्चा के दौरान विधायक अमित यादव ने भी अपनी बात रखी | उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था नहीं होने से बोकारो, धनबाद, रांची और हज़ारीबाग़ के मूलवासी शिक्षकों को साहेबगंज-दुमका में स्थानीय भाषा में पढ़ाने में दिक्कत हो रही है | वहीं ,बच्चों के भविष्य का सवाल है, इसलिए स्थानांतरण पर विचार होना चाहिए |

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