झारखंड में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सोनिया गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि झारखंडी जनभावना के अनुरूप सरकार और संगठन राज्य में काम नहीं कर रही है। इसलिए भारी मन से इस्तीफा दे रही हूं। उन्होंने इस पत्र को नये प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय को सौंपा है। उन्होंने भावुक पत्र में लिखा है कि उनके पिता कार्तिक उरांव और माता सुमति उरांव अलग-अलग समय में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में रह चुकी हैं। उन्होंने लिखा है कि राजनीति शासन करने के लिए नहीं होती बल्कि जनता की सेवा के लिए होती है। गीताश्री उरांव का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के इस्तीफे के कारण पूरे राज्य में कांग्रेस नेताओं के कदम पर लोगों की नजर टिकी हुई है।
पहले ‘माटी’ फिर पार्टी! झारखंडी आदिवासी, मूलवासी एवं सदान के साथ भाषायी अतिक्रमण किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं। अंतिम जोहार INC @RahulGandhi @priyankagandhi @avinashpandeinc @drajoykumar @INCIndia @INCJharkhand @ndtvindia @htTweets pic.twitter.com/kwr91tVrBR
— Geetashree Oraon (@geetashreeoraon) January 29, 2022
कांग्रेस की चुप्पी उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर रही..
उन्होंने हाल के दिनों में भाषा के मुद्दे पर उठे विवाद को लेकर अपनी ही पार्टी को कठघरे में खड़ा किया और कहा कि दूसरे राज्यों में भी स्थानीय भाषा के आधार पर तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को आरक्षण का लाभ मिलता है लेकिन झारखंड में इस व्यवस्था का कांग्रेस के कुछ नेता ही विरोध कर रहे हैं और पार्टी का स्टैंड स्पष्ट नहीं है। ऐसे में कथित तौर पर बाहरी लोग यहां आकर नौकरी करते रहेंगे और स्थानीय लोगों के हितों की अनदेखी होती रहेगी। अलग राज्य बनने के मूल आधार पर चोट हो रही है और केंद्र से लेकर राज्य तक में कांग्रेस की चुप्पी उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर कर रही है।