अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने सोमवार को पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव को एससी-एसटी के दो मुकदमों से साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान जेल में बंद आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया था। अभियोजन पक्ष योगेंद्र साव के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने में विफल रहा। जिसका लाभ आरोपी को मिला। मामला बड़कागांव थाना कांड संख्या 167/2018 एवं बड़कागांव थाना कांड संख्या 39/2019 से जुड़ा है। पहले मामला जिसे तत्कालीन बड़कागांव थाना प्रभारी परमानंद मेहरा ने दर्ज कराया था।
आरोप के अनुसार 16 अक्टूबर 2018 को योगेंद्र साव ने फोन पर पीड़ित सूचक को जाति बोधक गाली देते हुए उनके द्वारा जब्त हाइवा और जेसीबी को छोड़ने के लिए कहा गया था। अदालत में साबित नहीं हो सका।
वहीं, दूसरे मामले में बालेश्वर राम ने प्राथमिकी दर्ज करवायी थी। जिसमें फोन पर धमकी देने और जबरन आजसू छोड़कर तेली समाज के साथ आने और नहीं आने पर उड़ा देने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोनों मामले से बरी कर दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में योगेंद्र साव के खिलाफ हजारीबाग सिविल कोर्ट में चल रहे 18 मुकदमों का स्थानांतरण रांची सिविल कोर्ट के एजेंसी सात की अदालत किया गया। तीन मामलों में फैसला आ चुका है।