लगभग 11 महीने तक झारखंड के प्रभारी डीजीपी का पद संभालने वाले एमवी राव अब पुलिस प्रशासन से अलविदा कहने के मूड में हैं। उन्होंने घोषणा की है कि वो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने पर विचार कर रहे हैं। राव कहते हैं कि वो अब खुले आसमान में सांस लेना चाहते हैं। 1987 बैच के झारखंड कैडर के इस अधिकारी के नाम उपलब्धियों की लंबी फ़ेहरिस्त है।
इसी वर्ष सितंबर में एमवी राव सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन इससे पहले गुरुवार को उन्हें प्रभारी डीजीपी के पद से हटा दिया गया। कहीं ना कहीं वो इस सरकारी फैसले से मायूस भी हुए और अपने सहयोगियों को इशारों में कहा कि अगली मुलाकात दिल्ली या हैदराबाद में होगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि एक महीने के अंदर एमवी राव स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेंगे।
एमवी राव ने अपने बेबाक अंदाज़ और तीखे बयानों की वजह से कई आलोचनाएं भी झेली। चाहे वो आयरन हैंड से अपराधियों के हाथ कुचलने की बात हो या पुलिस वालों को सिंघम बनने की नसीहत, अपराध को लेकर उनके तेवर हमेशा सख्त रहे।
एक महीने में एडीजी सीआइडी के पद से भी हटाए गए थे
इससे पूर्व, रघुवर सरकार में एमवी राव को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद 13 नवंबर 2017 को एडीजी सीआइडी बनाया गया था। एडीजी बनते ही उन्होंने सभी गड़े मुर्दों को उखाड़ना शुरू कर दिया जिसमें से एक बहुचर्चित बकोरिया मुठभेड़ की जांच भी शामिल थी।
लेकिन इस सब की वजह से राव राजनीति का शिकार बन बैठे और उन्हें एक महीने के भीतर यानी 14 दिसंबर 2017 को एडीजी सीआइडी के पद से हटा दिया गया। उन्हें पुलिस आधुनिकीकरण कैंप दिल्ली भेज दिया गया था। इतना ही नहीं, उन्हें ये आदेश जारी हुआ कि अनुमति लेकर ही वो झारखंड में आ सकते हैं। एमवी राव ने उस वक्त भी वीआरएस लेने का मन बना लिया था, लेकिन साथियों के समझाने के बाद उन्होंने फैसला बदल लिया।
15 मार्च 2020 को एमवी राव झारखंड के प्रभारी डीजीपी बनाए गए थे। 11 महीने का कार्यकाल पूरा कर, 12 फरवरी 2021 को उन्होंने नीरज सिन्हा को डीजीपी का पदभार दे दिया।