झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव तथा आइएएस अधिकारी सजल चक्रवर्ती का गुरूवार को बेंगलुरु में निधन हो गया|बेंगलुरु के नारायण हृदयालय सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में उनका दिल का सफल ऑपरेशन हुआ लेकिनबाद में दिल का दौरा पड़नेसे उनका निधन हो गया|अब शुक्रवार को रांची के घाघरा में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा|सजल के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एवं अर्जुन मुंडा समेत तमाम दलों के राजनेताओं ने शोक जताया है|
बता दें कि सचिव सजल चक्रवर्ती का अंतिम संस्कार रांची के घाघरा में उसी जगह होगा, जहां उनके प्रिय बंदर भोलू और बंदरिया शिल्पी को दफनाया गया था|दरअसल, हाल ही में शिल्पी और भोलू दोनों की मौत हो गयी थी तथा उन्हेंघाघरा में दफनाया गया था| सजल चक्रवर्ती ने अपने जीवित अवस्था में ही करीबी लोगों से कहा था कि उनका अंतिम संस्कार उनके प्रिय बंदरों के पास किया जाये|
अपने कार्यकाल के दौरान सजल चक्रवती कई बार सुर्खियों में आये, खासकर जब उनका नाम चारा घोटाला मामले में सामने आया|संयुक्त बिहार में सजल चक्रवर्ती 1992 से 1995 के बीच चाईबासा के उपायुक्त थे और उसी दौरान उनपर चारा पशुपालन विभाग में गड़बड़ी करने वालों से लैपटॉप लेने का आरोप लगा था|वो मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के भी बेहद करीबी थे|कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में सजल चक्रवर्ती को 5 साल की सजा सुनाई जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया|हालांकि, बाद में वो झारखंड के मुख्य सचिव भी बने,उस वक्त सजल जमानत पर चल रहे थे|
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारी सजल चक्रवर्ती रांची के उपायुक्त एवं दो बार झारखंड के मुख्य सचिव रहचुके हैं|वो पहली बार 30 अप्रैल, 2014 से 14 अगस्त, 2014 तक मुख्य सचिव के प्रभार में रहे। इसके बाद 30 सितंबर, 2014से20 जनवरी, 2015 तक उन्होंने दोबारा से मुख्य सचिव का पदभार संभाला।
मूल रूप से रांची के रहने वाले सजल चक्रवर्ती, प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी आम जनता से सीधा संपर्क में रहे| उनका बेबाक अंदाज और सहज स्वभाव लोगों को खूब भाता था|बतौर मुख्य सचिव उन्होंने देर रात थानों और अस्पतालों का औचक निरीक्षण करके खलबली मचा दी थी|
पत्रकार के रूप में अपनी कैरियर की शुरूआत करने वाले सजल चक्रवर्ती, 90 के दशक में सिविल सर्विस की परीक्षा पास करके आइएएस अफसर बने|बाद में उनकी इच्छा राजनीति में आने की भी थी| जिस वक्त वो झारखंड के मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए उस वक्त ऐसी चर्चा थी कि वो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल होकर राजनीतिक पारी शुरू करेंगे|
हालांकि, ऐसा हुआ नहीं और फिर बाद में उनके कांग्रेस में शामिल होने की भी चर्चा शुरू हुई| कथित तौर पर उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के लिए पार्टी के पास अपनी अर्जी भी दी थी| सुखदेव भगत और आलमगीर आलम जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने पार्टी आलाकमान सेसजल चक्रवर्ती की पैरवी भी की थी|
सजल चक्रवर्ती बेहद सरल स्वभाव के थे| उन्हें जीव-जंतुओं से बहुत लगाव था| सादगी ऐसी कि वर्ष 2010 में जबनक्सलियों नेझारखंड के एक बीडीओ का अपहरण कर लिया, तो उन्हें छुड़ाने के लिए सजल चक्रवर्ती अकेले डुमरिया की ओर चल दिये थे| हालांकि, पुलिस बल ने उन्हें जंगल में जाने से रोक दिया|
अच्छे पायलट भी थे सजल..
आइएएस बनने से पहले सजल ने पायलट की ट्रेनिंग ली थी। उनके पास एयरक्राफ्ट उड़ाने का लाइसेंस भी था। सजल झारखंड के उन गिने-चुने आइएएस अधिकारियों में से एक हैं जो एयरक्राफ्ट उड़ाते थे। दरअसल, वो एयरफोर्स में जाना चाहते थे, लेकिन आगे चलकर वो आइएएस बन गए।
हाथ दिखाने पर अपनी कार रोक देते थे डीसी सजल चक्रवर्ती..
वर्ष 1990 में जिस वक्त सजल चक्रवर्ती रांची के उपायुक्त हुआ करते थे, उस दौरान उनकी कार को हाथ देने पर गाड़ी रुक जाती थी| एक बार XISS के छात्रों को डीसी को एक ज्ञापन सौंपना था| सजल सड़क से गुजर रहे थे तभीXISS के छात्रों ने कार को रुकने का इशारा किया| डीसी ने कार रूकवाकर, बाहर आकर छात्रों का ज्ञापन स्वीकार किया|
राजनेताओं ने जताया शोक..
सजल चक्रवर्ती के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करके शोक जताया है| उन्होंने लिखा है, ‘झारखंड राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती जी के निधन की दुःखद सूचना मिली| परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर परिवार को दुःख की यह घड़ी सहन करने की शक्ति दे|’
उधर, राज्य के पहले मुख्यमंत्री एवं भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी ट्विटर पर सजल चक्रवर्ती को श्रद्धांजलि दी| श्री मरांडी ने लिखा, ‘पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती का बेंगलुरु में इलाज के दौरान निधन का समाचार मिलने से आहत हूं| ईश्वर संतप्त परिवार को यह दुःख को सहने करने की शक्ति एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें|’