हेसराग गांव के किसानों ने हरियाली से बदल दी गांव की तस्वीर..

Gumla: किसानों के लिए खेती की जमीन इतनी महत्वपूर्ण है जिस प्रकार बच्चों के लिए उसकी मां होती है। धरती से सोना उगते किसान बंजर से बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना देते है। कुछ इसी तरह की घटना हेसराग गांव में देखने को मिल रही है। अपने फौलादी इरादों के बलबूते पर झारखंड के गुमला जिले के विशुनपुर प्रखंड के हेसराग गांव के किसानों ने पहाड़ का सीना ऐसा चीरा कि चारों और धरती पर हरियाली छा गई। उनके निरंतर प्रयास और नेक इरादों ने लोगों को दंग कर दिया है। ग्रामीणों के इस प्रयास से गांव में चहुंओर हरियाली तो छा ही गई, यहां के लोग अब समृद्धि की नई इबारत भी लिख रहे हैं।

पहाड़ में नहीं बना चेकडैम….
हेसराग गांव के पहाड़ के ऊपर ढोढ़ी अंबा नामक एक जगह है। जहां से झरने से निकलती नदियों का बेहिसाब पानी बहती है। प्रशासन द्वारा कई बार ग्रामीणों के आग्रह पर चेकडैम बनाने का प्रयास किया गया, पर वह सफल नहीं हो सका। कई बार प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने खुद से ही पहाड़ का सीन चीरकर पानी को धरातल पर उतार दिया।

धरातल पर उतारा पानी….
प्रशासन द्वारा कई प्रयासों के बाद भी चेकडैम का निर्माण नहीं हो पा रहा था। इसके बाद भी किसानों की हिम्मत नहीं टूटी एक सभा कर गांव के किसानों ने इस पहाड़ का सीना चीरने का निर्णय लिया और कोड़ी, ईता, सबल, टांगी लेकर पहाड़ पर चढ़ गए। बच्चे- बड़े-बूढ़े, महिला-पुरुष गांव के सभी ग्रामीण एक जुठ होकर हेसराग जंगल के ऊपर पहाड़ में मिलकर एक छोटा डैम बना डाला और पानी की मोटी धार को मोड़ते हुए सराग गांव की बस्ती के धरातल पर उतार दिया। पहाड़ से बेफिजूल बहने वाला पानी अब सीधे गांव की ओर बहने लगा है। अब ग्रामीण इस पानी का उपयोग न सिर्फ पेयजल के लिए करते है, बल्कि खेती-किसानी के लिए भी करते हैं।

किसानों को मिल रही है अच्छी उपज…
पहाड़ से सीधे गांव में बहता पानी आज किसानों के खेतों में हरियाली ला रहा है। खेतों में आलू, गोभी, धनिया, टमाटर की फसल लहलहा रही है। ग्रामीण उपज को बाजार में अच्छे भाव में बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। किसान अब अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ एक अच्छा जीवन स्तर भी दे रहे है। इस पानी का सदुपयोग करने से किसानों के जीवन में बदलाव आया है। ग्रामीण बेहद खुश है।