खदान लीज मामले में CM हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग का नया नोटिस, 10 दिन में मांगा जवाब..

रांची: भारत निर्वाचन आयोग ने अवैध खनन पट्टा मामले में जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दस दिनों का अतिरिक्त समय प्रदान किया है। निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से अतिरिक्त समय की मांग की थी। उन्होंने अपनी बीमार मां के बारे में जानकारी देते हुए आयोग से आग्रह किया था कि वे उनकी देखभाल के सिलसिले में लगातार हैदराबाद में रहे। इस वजह से उन्होंने निर्वाचन आयोग द्वारा प्रेषित नोटिस का अध्ययन नहीं किया है। नोटिस का अध्ययन करने के लिए उन्हें अतिरिक्त समय चाहिए। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वे गुरुवार को फिर से हैदराबाद जा सकते हैं।

चुनाव आयोग ने अतिरिक्त समय की दी स्वीकृति..
निर्वाचन आयोग को पत्र मिलने के बाद अतिरिक्त समय की स्वीकृति पर मुहर लगी। हालांकि झामुमो के सूत्रों ने इसपर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि खनन पट्टा मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 10 मई तक जवाब देने का आदेश भारत निर्वाचन आयोग ने दिया था। मुख्यमंत्री की मां का इलाज हैदराबाद में चल रहा है। उन्हें पहले राजधानी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें हैदराबाद के एक अस्पताल में शिफ्ट किया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिजन भी हैदराबाद में हैं। नोटिस का पूरा अध्ययन करने के बाद अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ से आयोग को जवाब भेजा जाएगा।

झामुमो ने लिया सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस से कानूनी परामर्श..
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीएन खरे से कानूनी परामर्श लिया है। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की ओर से कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के प्रावधान उस मामले में लागू नहीं होंगे, जहां विधानसभा के सदस्य को प्रदेश द्वारा खनन पट्टा प्रदान किया गया है। सरकार द्वारा विधानसभा के सदस्य को खनन पट्टा ना तो राज्य को माल की आपूर्ति और ना ही कार्य निष्पादन के लिए एक समझौता या करारनामा होगा। जस्टिस वीएन खरे ने इस संदर्भ में पूर्व के कुछ फैसलों का हवाला भी दिया है। इसमें उन्होंने 1964 में सीवीके राव बनाम दंतु भास्करा राव, 2001 में करतार सिंह भडाना बनाम हरि सिंह नलवा, देवन जोयनल अबेदिन बनाम अब्दुल वाजिद और 1999 में रंजीत सिंह बनाम हरमोहिंद्र सिंह प्रधान केस में सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का जिक्र किया है।

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