शिक्षा विभाग की ओर से कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान फीस को लेकर जारी गाइडलाइन के बावजूद प्राइवेट स्कूल की मनमानी जारी है। और इस बार कोई आम व्यक्ति नहीं बल्कि खुद इसके शिकार हुए हैं झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो। दरअसल, शिक्षा मंत्री की नातिन का अप्रैल से लेकर सितंबर तक की ट्यूशन फीस बकाया थी। जब बात स्कूल की ओर से नाम काटे जाने की आई तो इसकी जानकारी बेटी ने मंत्री को दी।
इसके बाद शिक्षा मंत्री ने स्कूल प्रबंधन को फोन कर आश्वासन दिया कि आप नाम न हटाएं,बकाया फीस जमा कर दी जाएगी। बावजूद इसके शिक्षा मंत्री की नातिन का नाम ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जारी लिंक से हटा दिया गया। इस बात की जानकारी मिलने के बाद शिक्षा मंत्री शनिवार को बोकारो के चास स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल पहुंचे| उन्होंने नातिन की बकाया ट्यूशन फीस के 22,800 रुपए जमा किए।
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की नातिन डीपीएस चास की चौथी कक्षा की छात्रा है। 3,800 रुपए के हिसाब से उनकी नातिन का अप्रैल से सितंबर तक ट्यूशन फीस 22,800 रुपए बकाया था। बोकारो में रहने वाली शिक्षा मंत्री की बेटी रीना देवी ने पिता को फोन पर उनकी बेटी रिया की फीस बकाया होने की जानकारी दी। फीस नहीं जमा कराने पर स्कूल वाले नाम काटने की बात कह रहे हैं।
शिक्षा मंत्री ने इसके बाद तुरंत स्कूल प्रबंधन से बात कर बच्ची का नाम नहीं काटने को कहा और आश्वसत किया कि फीस जमा हो जाएगाी। उसके बाद शनिवार को बेटी ने दोबारा अपने पिता मंत्री जगरनाथ महतो को फोन पर बताया कि फीस जमा नहीं होने से रिया का नाम ऑनलाइन पढ़ाई की लिंक से हटा दिया गया है। मंत्री जी ने शनिवार को खुद स्कूल पहुंचकर स्कूल के प्रभारी प्राचार्य शैलजा जयकुमार से बात की।
प्रभारी प्राचार्य शैलेजा जयकुमार ने शिक्षा मंत्री को सफाई देते हुए कहा कि रिया का नाम नहीं काटा गया है और विद्यालय अभिभावकों से ट्यूशन फीस ही ले रहे हैं। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने खुद लाइन लगकर काउंटर पर फीस जमा कर दी।
उधर, नातिन की फीस जमा कराने खुद स्कूल पहुंचे शिक्षा मंत्री से सवाल किया गया कि आप मंत्री हैं, आपके पास पैसे हैं भी है| ऊपर से आपके फोन करने के बावजूद बच्ची का नाम हटा दिया गया, ऐसे में आम जनता का क्या होगा? शिक्षा मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि अखबारों और टीवी के जरिए आपके सवालों और जनता की परेशानियों की जानकारी मुझे मिलती रहती है। यही कारण है कि मैं खुद ही मामले की जांच करने स्कूल आ गया। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल किन-किन मदों में फीस की वसूली करते हैं, इस मसले को वो कैबिनेट की बैठक में उठाएंगे और फीस वसूली की जांच भी करवाएंगे।
स्कूल पहुंचे मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि बच्ची की ऑनलाइन पढ़ाई किसने रोकी इस बात का तो पता नहीं। उन्होंने कहा कि मैं यहां कोई राजनीति करने नहीं आया और न ही किसी राजनैतिक दौर पर आया हूं। और तो और स्कूल प्रबंधन पर मानसिक रूप से दबाव डालने भी नहीं आया हूं। स्कूल विद्या का मंदिर है। मेरी बेटी ने फोन किया कि बच्ची की पढ़ाई बंद कर दी गई है। जबकि मैंने फोन पर कहा था कि पैसा दे दिए जाएंगें,आप पढ़ाई में बाधा ना पहुंचाएं। यहां मैं अभिभावक के तौर पर आया हूं| स्कूलों के मनमानी की खबरों को सुनने के बाद सच्चाई जानने आया हूं। मुझे पूरी तरह समझ आ गया है कि आखिर क्या चल रहा है।
ज्ञात हो कि तीन महीने पहले निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावक संघों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि इस साल किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि नहीं होगी। ऑनलाइन पढ़ानेवाले स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस लेंगे। जिन स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराई है, वो ट्यूशन फीस नहीं लेंगे। निजी स्कूलों को ये निर्देश था कि किसी भी अभिभावक पर लॉकडाउन पीरियड की फीस के लिए दबाव नहीं दिया जाएगा। अभी तीन महीने के परिवहन फीस पर रोक लगा दी गई है। आगे इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्देश आएगा, उसी अनुसार निर्णय लिया जाएगा।