दुर्गापूजा पंडाल: झारखंड हाई कोर्ट ने दिए पिंक बस और महिला सुरक्षाबल तैनात करने के निर्देश….

झारखंड हाई कोर्ट ने दुर्गापूजा के दौरान महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार को कई निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा है कि सभी पूजा पंडालों के पास अतिरिक्त महिला सुरक्षाबल की तैनाती की जाए, ताकि महिलाएं बिना किसी डर के इस उत्सव का आनंद ले सकें. इसके साथ ही महिलाओं की सुविधा के लिए पिंक बसें चलाने का भी आदेश दिया गया है. विशेष रूप से स्कूली छात्राओं और अन्य महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाए गए हैं. अदालत ने इस मुद्दे पर पहले से ही बनी स्पेशल टास्क फोर्स की बैठक में हुए निर्णयों को लागू करने की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है. यह बैठक 28 सितंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे. बैठक में यह भी तय किया गया था कि स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों में महिला कर्मियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी, ताकि बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. हालांकि, सरकार की ओर से अब तक इस संबंध में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) कोर्ट में दाखिल नहीं किया गया है. इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए सरकार को निर्देश दिया कि जो फैसले तत्काल लागू किए जा सकते हैं, उन्हें जल्द से जल्द लागू किया जाए. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में गुरुवार को महिला और स्कूली छात्राओं समेत नाबालिग लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए गए. खंडपीठ ने कहा कि दुर्गापूजा के दौरान महिलाओं की सुविधा के लिए पिंक बसों का संचालन सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही जिन स्थानों पर पहले से पिंक बसें चल रही हैं, वहां इनके समय में विस्तार किया जाए, ताकि महिलाओं को आवागमन में आसानी हो. इसके अलावा, प्रमुख जगहों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखने का निर्देश भी दिया गया है, ताकि सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जा सके. महिलाओं की आपातकालीन स्थिति में मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर का प्रचार-प्रसार स्थानीय टीवी चैनलों और अखबारों के माध्यम से करने का भी निर्देश दिया गया है. अदालत ने साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी प्रमुख स्थानों पर स्ट्रीट लाइट्स दुरुस्त हों, ताकि अंधेरे क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा न हो. इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी. याचिकाकर्ता अधिवक्ता भारती कौशल ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई गई थी. याचिका में कहा गया है कि जनवरी से जून तक महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, दुष्कर्म और छेड़खानी की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. इस दौरान 185 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. याचिका में यह भी बताया गया है कि कई स्कूलों में वैन का उपयोग किया जाता है, लेकिन इन वाहनों के ड्राइवरों का सत्यापन नहीं कराया जाता है. यह चिंता का विषय है, क्योंकि पहले भी बच्चियों के साथ गलत हरकतों की घटनाएं हो चुकी हैं. अदालत ने पहले ही निर्देश दिया था कि स्कूली वाहनों में महिला कर्मियों की नियुक्ति की जाए, ताकि बच्चियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया जा सके.

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