झारखंड के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं करना चाहते नौकरी..

Jhupdate: गैर शैक्षणिक विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति के लिए जेपीएससी द्वारा बड़े पैमाने पर आयोजित इंटरव्यू में उम्मीदवार शामिल ही नहीं हो रहे है। झारखंड में डॉक्टर सरकारी नौकरी के प्रति कम दिलचस्पी दिखा रहे है। इसका अंदाजा गैर शैक्षणिक विशेषज्ञ चिकित्सक सीटें खाली रह जाने से लगाई जा सकती है। गैर शैक्षणिक विशेषज्ञ चिकित्सक के 771 पदों के लिए जेपीएससी द्वारा 20 से 24 सितंबर तक इंटरव्यू लिया गया। लेकिन, 771 पदों के इंटरव्यू में मात्र 266 उम्मीदवार ही शामिल थे। यह संभावनाएं जतायी जा रही है कि इस बार भी पद खाली रह जायेंगे।

492 पद खाली रह गये थे …
वर्ष 2015 में 654 पदों पर आयोग द्वारा नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लिया गया था, लेकिन सिर्फ 162 उम्मीदवारों की ही अनुशंसा हो पायी 492 पद खाली रह गये थे। इसी प्रकार वर्ष 2018 में भी 386 पद पर गैर शैक्षणिक विशेषज्ञ चिकित्सक की नियमित नियुक्ति के लिए आयोग ने इंटरव्यू लिया, लेकिन सिर्फ 70 पद पर ही अनुशंसा हो सकी, 316 पद खाली रह गये थे। बैकलॉग के लिए भी 14 पदो पर वर्ष 2018 में इंटरव्यू लिया गया। जिसमें सिर्फ दो की ही अनुशंसा हो सकी, 12 पद खाली रह गये थे।

मनचाहे जगह पर पोस्टिंग ना मिलना… बड़ी वजह कई डॉक्टरों ने सरकारी नौकरी के लिए राजी नहीं होने की कई वजह हैं, जिनमें प्रमुख रूप से दूर क्षेत्र या मनचाहा जगहों पर पोस्टिंग का नहीं होना, बायोमीट्रिक अटेंडेंस, मन मुताबिक सैलरी नहीं, दूरदराज इलाकों में रहने की परेशानी शामिल है। विशेषज्ञ डॉक्टर होने के कारण मनचाहा वेतन के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में नौकरी का ऑफर और अपनी निजी क्लिनिक से कमाई उन्हें आकर्षित करता है।

कुल पदो में नहीं हो पा रही इंटरव्यू….
रेडियोलॉजिस्ट व फॉरेंसिक एक्सपर्ट के कुल 84 पद के लिए इंटरव्यू में शामिल हुए। वही, 21 सितंबर को लगभग 53 उम्मीदवार ही पैथोलॉजी व सर्जन के कुल 48 पद के लिए इंटरव्यू में शामिल हुए। 22 सितंबर को लगभग 48 उम्मीदवार ही एनेस्थीसिया व नेत्र रोग विशेषज्ञ के कुल 105 पद पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू में आये। तथा इंटरव्यू की प्रक्रिया अभी भी बाकी है।

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