धोनी की कला को सबसे पहले पहचानने वाले शक्श देवल सहाय जिन्हें प्यार से देवल दा भी बुलाया जाता था, वे अब नहीं रहे। 1997 में रांची के मेकॉन में टर्फ क्रिकेट ग्राउंड बनाने वाले देवल दा लम्बे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। 73 साल के देवल दा ने मंगलवार यानि आज रांची के अस्पताल में आखरी सांस ली। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बीटा और एक बेटी है।
देवल सहाय की क्रिकेट में ही नहीं, बल्कि फुटबॉल में भी अच्छी पकड़ थी। सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के पर्सनल डायरेक्ट की पोस्ट से रिटायर होने के बाद 2006 में उन्होनें खेल प्रशासन से खुद को अलग कर लिया था। उनके निधन पर झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (JSCA) ने भी गहरा दुख ज़ाहिर किया है। देवल सहाय सीएमपीडीआई और सीसीएल में ऊंचे पदों पर रह चुके थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने क्रिकेटर्स की सीधी नियुक्ति की.
देवल दा के करीबी और 1997 से लेकर 2003 तक धोनी की टीम के कप्तान रहे आदिल हुसैन ने बताया कि देवल दा धोनी की प्रतिभा को स्कूल के एक क्रिकेट मैच से ही समझ चुके थे। जूनियर होकर भी धोनी को सीनियर के बैच के साथ प्रैक्टिस करवाया करते थे। 1997 में धोनी को CCL से एक स्टाइपेंड प्लेयर के रूप में जोड़ा। धोनी को बनाने में बहुत बड़ा योगदान देवल दा का भी रहा।
आदिल हुसैन ने देवल दा को याद करते हुए उस वक़्त का किस्सा सुनाया जब एक बार रांची में क्रिकेट के लिए रेजिस्ट्रेशन्स शुरू हुआ था, इस दौरान सेल की टीम के साथ खेलने के लिए धोनी ने सहमति दी थी और सेल की टीम के साथ रजिस्टर्ड भी हो गए थे। पर आगे की प्रक्रिया बाकि थी। तभी देवल दा को इस बात की जानकारी मिली और फिर उन्होनें धोनी से CCL की टीम के लिए खेलने को कहा। गुरु के बात को मानते हुए धोनी ने भी बिना ज़्यादा सोचे तुरंत CCL के लिए मैदान में उतर पड़े। बाद में रांची जिला क्रिकेट संघ से सारी प्रक्रिया पूरी की गई। आदिल हुसैन ने यह भी बताया कि देवल दा उस वक़्त से ही धोनी को एक शानदार प्लेयर मानते थे। CCL की टीम के साथ धोनी को राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में भी ले जाया करते थे।
आदिल ने उस समय का भी ज़िक्र किया जब 2007 में मेकॉन ग्राउंड में कोल इंडिया क्रिकेट का फाइनल राउंड होने वाला था, तब धोनी को बाहर जाना था। पर जब धोनी को देवल दा की मेकॉन ग्राउंड में उपस्थिति का पता चला तो वे टाइम निकाल कर न केवल अपने गुरु देवल दा से मुलाकात की बल्कि उन सभी प्लेयर्स से भी मिले जिनके साथ वो पहले क्रिकेट खेला करते थे। इन सभी किस्सों से समझा जा सकता है कि धोनी और उनके गुरु देवल दा एक दूसरे से कितने करीब थे।