रांची में छाया है डेंगू का कहर..

Jharkhand: शहर में डेंगू के मरीजों की संख्या घटने का नाम ही नहीं ले रही है। डेंगू मानो कोरोना की तरह हो गया है दिन पर दिन दोगुनी मरीजों अस्पताल में भर्ती हो रहे है। शहर में डेंगू का कहर इस कदर जारी है, की सारी व्यवस्थाएं थप होती दिख रही है। सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) किट अस्पतालों से खत्म है। अस्पताल में भर्ती डेंगू मरीजों को किट के अभाव में एसडीपी की जगह रेंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) चढ़ा कर ही काम चलाना पड़ रहा है।

देश में तीन कंपनियां करती है किट्स सप्लाई ….
इन दिनों सरकारी-निजी अस्पतालों में 80 यूनिट आरडीपी से अधिक की खपत है। पूरे देश में एसडीपी किट की सप्लाई विदेश से हाेती है, देश में तीन कंपनियां यह किट्स सप्लाई देती है। सहर में अभी तक डेंगू के अनेकों मामले सामने आए हैं, कई मरीज निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
सिंगल डोनर प्लेटलेट्स लगाना महंगा पड़ता है। इसकी कीमत करीब 11000 रुपए पड़ती है, रैंडम प्लेटलेट्स 1 हजार रुपए में ही हो जाती है।

प्लेटलेट्स डोनेट नहीं होती कमजोरी….
डॉ चंद्र भूषण ने बताया कि सिंगल डोनर देने ही ज्यादा सही है, क्योंकि अलग-अलग ब्लड ग्रुप के लोगों के लिए रैंडम डोनर वाला प्लेटलेट होते है, जिससे शरीर में धीरे-धीरे उन ब्लड ग्रुप्स के खिलाफ एंटी बॉडीज बन जाती हैं, जो भविष्य में प्लेटलेट्स देने पर उन्हें नष्ट कर सकती है। ऐसे में प्लेटलेट देने पर भी प्लेटलेट काउंट नहीं बढ़ता, इसलिए सिंगल डोनर ही ज्यादा सुरक्षित होता है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि 7 दिनों में वापस नई प्लेटलेट्स बनने के कारण अगर किसी को प्लेटलेट्स देना है तो वह दो हफ्ते में एक बार प्लेटलेट्स डोनेट कर सकते है। किसी को प्लेटलेट देने से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती।

दो तरह के होते है प्लेटलेट ट्रांस्फ्यूजन….
प्लेटलेट ट्रांस्फ्यूजन दो तरह से होता है, एक सिंगल डोनर प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन दूसरा दूसरा रैंडम प्लेटलेट डोनर।
सिंगल डोनर प्लेटलेट एक ही व्यक्ति से सभी प्लेटलेट्स मिल जाती है। जब की
रैंडम प्लेटलेट डोनर कई डोनर्स जिनके ब्लड ग्रुप भी अलग-अलग हो सकते हैं, उनमें से थोड़ा-थोड़ा प्लेटलेट मिल जाता है।

डेंगू में जा सकती है जान….
खून में यदि प्लेटलेट कम हो जाते हैं तो पेट, आंत, नाक या दिमाग के अंदर भी ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) शुरू हो सकता है। यह ब्लीडिंग किसी व्यक्ति की जान तक ले सकती है। डेंगू जैसी बीमारियों में प्लेटलेट कम होने पर कई बार इसी वजह से मरीज की जान चली जाती है।

क्या है इडियोपैथिक थोम्बोसाइटोपीनिया….
रिम्स ब्लड बैंक केसीनियर रेजीडेंट डाॅ. चंद्रभूषण कहते हैं कि धीरे-धीरे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन को लेकर सामान्य लोगों के बीच एक हौवा सा बन गया है, इसे लेकर लोगों के बीच बड़े भ्रम है। रक्त में प्लेटलेट्स की कमी होने का मतलब है कि या तो शरीर में प्लेटलेट्स कम बन रहा है या फिर ठीक मात्रा में बनने के बावजूद किसी कारण से नष्ट होती जा रही है। कई बार प्लेटलेट्स खत्म होने की बीमारी भी हो सकती है। ऐसे में प्लेटलेट बनते तो हैं लेकिन हमारा शरीर ही इन्हें लगातार नष्ट करता रहता है ऐसी बीमारी को इडियोपैथिक थोम्बोसाइटोपीनिया कहा जाता है।

एसडीपी नहीं हो पा रहा है इंतजाम….
ब्लड बैंक में पहले सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) की मांग हफ्तेभर में 1-2 यूनिट की आती थी, डेंगू की मरीजों की संख्या बढ़ाने के कारण इन दिनों रोज एक दिन मे 5-6 यूनिट की मांग आ रही है, लेकिन सप्लाई प्रभावित हाेने के कारण 2-3 प्लेटलेट्स कहीं इंतजाम हो पा रहा है।

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