रांची : कोरोना से मरने वालों की संख्या अचानक बढ़ी तो शवदाह गृह की दोनों मशीनें हुईं खराब

राज्य में कोरोनावायरस संक्रमण की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है. हर दिन इस संक्रमण के शिकार लोगों की मौत हो रही है. राजधानी रांची में भी संक्रमण के काफी मामले हैं. राजधानी में कोरोना से मौत के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा है. आज हरमू मोक्षधाम को नजारा काफी दर्दनाक था. वहां मृतक के परिजन शव के अंतिम संस्कार के लिए घंटों धूप में खड़े रहे, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.

मामला कुछ ऐसा है. शनिवार को राजधानी में कोरोनावायरस संक्रमण के कारण कुछ लोगों की मौत हो गयी. उनका अंतिम संस्कार हरमू स्थित विद्युत शवदाह गृह में कराया जा रहा था. सुबह दो बॉडी का अंतिम संस्कार होने के बाद ही शवदाहगृह का बर्नर खराब हो गया और उसके बाद बाकी बचे शवों का अंतिम संस्कार शाम तक भी नहीं हो पाया.

मृतक के परिजन पीपीई किट पहनकर 10 घंटे तक धूप में खड़े रहे. प्रशासन की लापरवाही देखिए. परिजनों के बार-बार पूछने पर कि मशीन कब ठीक होगा. प्रशासन की ओर से कहा जाता रहा कि तुरंत ठीक हो जायेगा. अंत में 10 घंटे के इतजार के बाद जब परिजनों के सब्र का बांध टूट गया तक हंगामे के बाद प्रशासन हरकत में आया और शवों को नामकुम घाघरा घाट पर लकड़ी से अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

बता दें कि कोरोना संक्रमण से मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार जिला प्रशासन की निगरानी में हरमू स्थित मोक्षधाम में कराया जाता है. अब यहां शवदाहगृह खराब हो जाने के बाद भी तत्काल कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी. परिजनों के पूछने पर यही बताया गया कि जल्द ही मशीन को ठीक करा लिया जायेगा. शाम सात बजे परिजनों को बताया गया कि मशीन ठीक नहीं हो पायेगी, दूसरे जगह जाना होगा.

परिजन एंबुलेंस पर लेकर सभी शवों को नामकुम स्वर्णरेखा नदी के किनारे बने घाघरा मुक्तिधाम पहुंचे. इसके बाद आनन-फानन में नगर निगम ने घाट पर लाइट की व्यवस्था की और करीब 7 ट्रेक्टर लकड़ी भी पहुंचाया. तब जाकर वहां शवों का अंतिम संस्कार हो पाया. जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे और अपनी निगरानी में शवों का अंतिम संस्कार करवाया.

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