जीवन का अंतिम पड़ाव यानी कि बुढ़ापे में अपनों का साथ बेहद जरूरी होता है। ये वो वक्त होता है जब इंसान का जीवन असक्त हो जाता है। कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है तथा भरण-पोषण के लिए अपने बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं बच्चे जिसे बचपन से युवा तक इस काबिल वो बूढ़े मां बाप ही बनाते हैं। लेकिन आगे चलकर वहीं बूढ़े मां बाप कुछ बच्चों के लिए बोझ हो जाते हैं।
कोडरमा में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां एक बुजुर्ग को उसके परिजनों ने बोझ समझकर मुंबई ले जाकर छोड़ दिया। वहां के पत्रकारों की मदद से वो बुजुर्ग वापस अपने घर गिरिडीह लौट सके।
वैसे तो आए दिन सोशल मीडिया पर मां-बाप को से जुड़ी अनमोल बातें, स्टेटस, गाने और वीडियो आते रहते हैं। लेकिन हकीकत में ये सब बस बातें हैं। ये खबर उसी सच को बता रहा है।
90 वर्षीय नोखलाल साव गिरिडीह जिले के हीरोडीह थाना के डंगारडीह के रहने वाले हैं। नोखलाल को उनकी ही बेटी, दामाद और नाती ने मुंबई ले जाकर सिद्धि विनायक मंदिर के पास छोड़ दिया। मीडियाकर्मी शिखा वर्मा और अभिनेता नीरज सिंह राजपूत की नज़र वहां रोते-बिलखते नोखलाल पर पड़ी। दोनों ने जाकर उस बुजुर्ग व्यक्ति का हाल-चाल लिया और उन्हें सुरक्षित घर भेजने की कोशिश में जुट गए। इसी क्रम में गूगल के माध्यम से कोडरमा के एनजीओ समर्पण से संपर्क किया गया। नीरज और शिखा ने संस्था से सारी बातें साझा की। पूरा हाल जानने के बाद समर्पण के सचिव इंद्रमणि साहू ने बूढ़े नोखलाल को सकुशल ट्रेन से कोडरमा भेजने का आग्रह किया। इंद्रमणि ने वृद्ध को उनके घर तक पहुंचाने के लिए आश्वस्त भी किया।
समर्पण के सचिव इंद्रमणि साहू ने ट्रेन की पूरी डिटेल ली, फिर तय प्लान के तहत नीरज और शिखा ने नोखलाल को टिकट देकर कोडरमा भेज दिया। यहां समर्पण की टीम ने रात करीब 3 बजे स्टेशन जाकर उन्हें अपने संरक्षण में लिया और कार्यालय लेकर आए।
इसके बाद उचित पोषण आहार के बाद नोखलाल को अपने वाहन से उनके घर तक सकुशल पहुंचाया गया। इस संबंध में संस्था की ओर से हीरोडीह थाना में एक सनहा भी दर्ज कराया गया है। समर्पण के मनीष कुमार लहरी, दीपक कुमार राणा, सन्नी कुमार, इंद्रमणि साहू ने इस पूरे कार्य को सफल अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।